गुरुदेव तुम्हारे चरणों में वैकुंठ का वास लगे मुझको
अब तो तेरे ही रूप में बस रब का एहसास लगे मुझको
अमृत चरणों का देके मुझे पापी से पावन कर डाला
मेरे सिर पर हाथ फिरा कर के मुझे अपने ही रंग डाला
इस जीवन की बिल्कुल ही न थी जैसे शुरूआत लगे मुझको
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में...
मैं किस पे भला अभिमान करूँ ये हाड मास की काया हैं
सोना चाँदी हीरे मोती बस चार दिनों की माया हैं
गुरुदेव ने ऐसा ज्ञान दिया दुनिया वनवास लगे मुझको
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में...
मैंने नाम गुरू का लिख डाला हर साँस पे हर एक धड़कन पे
केवल अधिकार गुरू का हैं अब तो बच्चों के जीवन पे
गुरुदेव बिना कुछ भाता नहीं ऐसा आभास लगे मुझको
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में...
स्वागतम गुरुदेव शरणागतम गुरुदेव...
हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ ....
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