फरयाद मेरी सुनके गुरूदेव चले आना
नित ध्यान धरू तेरा तुम दरश दिखा जाना
तुम्हे अपना समझकर के फरयाद सुनाता हुँ
तेरे दर पे आकर के नित शीश झुकाता हुँ
क्यो भूल गए गुरूवर मुझे समझ के बेगाना
फरयाद मेरी सुनके...
मेरी नाव भँवर डोले बापू तुम ही खेवैया हो
मेरी जीवन नैया के तुम कृष्ण कन्हैया हो
तुम सूक्ष्म रूप धर के भव पार लगा जाना
फरयाद मेरी सुनके...
हरि ओम हरि ओम हरि ओम ...
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