हे मेरे शिवरूप गुरुजी
सत्य सदा सुखरूप गुरुजी
रुद्र महा शिवरूप गुरुजी
हे मेरे शिवरूप गुरुजी।।धृ।।
नाम है तेरा तारणहारा
सबके दुखड़े हरते हो तुम
प्रेम सुधा का पान करा के
सबको पावन करते हो
तुमही हो सब रूप गुरुजी
हे मेरे शिवरूप गुरुजी...
पावन सबसे ज्ञान की गंगा
आपके मुख से बहती है
ब्रह्म गुरु के वचनों में है
सारी श्रुतियाँ कहती है
सबमें तेरा रूप गुरुजी
सत्य सदा सुखरूप गुरुजी
हे मेरे शिवरूप गुरुजी...
मंगल दर्शन गुरुवर तेरा
जिसने भी कभी पाया है
जनम जनम की प्यास मिटी
जो तेरे दर पे आया है
रुद्र महा शिवरूप गुरुजी
सत्य सदा सुखरूप गुरुजी
हे मेरे शिवरूप गुरुजी...
सिंधु दया के प्रेम के सागर
विनती मेरी सुन लेना
सेवक जान सदा चरणों में
मुझको अपने रख लेना
तेरे रहूँ अनुरूप गुरुजी
सत्य सदा सुखरूप गुरुजी
हे मेरे शिवरूप गुरुजी...
कैलाशी काशी के वासी
घट घट वासी अविनाशी हो
ह्रदय बिहारी भव भयहारी
त्रिपुरारी तुम सुखराशी हो
तुम ही हो सब रूप गुरुजी
सत्य सदा सुखरूप गुरुजी
हे मेरे शिवरूप गुरुजी...
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