भाव दो भक्ति दो ,भक्ति की शक्ति दो
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
धर्म वरदान दो,सत्य का ज्ञान दो
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
भाव दो भक्ति दो ,भक्ति की शक्ति दो..
मेरे गुरु है जहाँ वहाँ पे अँधेरा नही
है सदा सुख वहाँ दुःख का डेरा नही
जाऊँ तेरी शरण पाऊँ तेरे चरण
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
भाव दो भक्ति दो ,भक्ति की शक्ति दो
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
तूने मुझको रचा ,मैं हुँ रचना तेरी
तू है मेरा कवि, मैं हुँ कविता तेरी
प्राण दीपक जले, साँस जबतक चले
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
भाव दो भक्ति दो ,भक्ति की शक्ति दो
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
गुरु सुनते रहे और मैं सुनाता रहूँ
बीते सदियाँ यूँही ,गीत गाता रहूँ
मेरा बनके रहे मुझको अपना कहे
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
भाव दो भक्ति दो ,भक्ति की शक्ति दो
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
भाव दो भक्ति दो ,भक्ति की शक्ति दो
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
धर्म वरदान दो,सत्य का ज्ञान दो
मुझको इसके सिवा कुछ नही चाहिए
भाव दो भक्ति दो ,भक्ति की शक्ति दो..
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