हे गुरुदेव मेरी कुटिया को मंदिर कभी बना जाना
जैसे कृपा की थी शबरी पे वैसे दरस दिखा जाना
हे गुरुदेव मेरी कुटिया को मंदिर कभी बना जाना...
बनकर श्याम ,बनकर श्याम सुदामाजी को जैसे तुमने तारा था
बैठके नैय्या,बैठके नैय्यामें केवट की उसको पार उतारा था
अगर किसी दिन,अगर किसी दिन फुरसत हो तो
मेरे भाग्य जगा जाना
हे गुरुदेव मेरी कुटिया को..
पारस है,पारस है श्रीचरण तुम्हारे मुझको सोना कर देंगे
निर्मल पावन,निर्मल पावन इस कुटिया का
हर एक कोना कर देंगे
अपने चरणों,अपने चरणों की रज
देकर मेरा मान बढ़ा जाना
हे गुरुदेव मेरी कुटिया को मंदिर कभी बना जाना
जैसे कृपा की थी शबरी पे वैसे दरस दिखा जाना
हे गुरुदेव मेरी कुटिया को मंदिर कभी बना जाना...
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