आ जाओ हे दयालु गुरुवर देर न हो अब आने को,
आँखे मेरी तरस गई है गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालु गुरुवर देर न हो अब आने को ...
जब जब गुरुवर याद है आते आँख मेरी भर आए
मुख से कुछ न बोल सकूँ में दिल रोता ही जाये
लख चौरासी रोता आया भूल गया मुस्काने को
आँखे मेरी तरस गई है गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालु गुरुवर देर न हो अब आने को ...
त्रेता में तुम राम बने हो हर मर्यादा निभाई
द्वापर में तुम कृष्ण कन्हैया प्रेम की मुरली बजाई
आपके बाग का छोटा फूल हूँ आ जाओ महकाने को
आँखे मेरी तरस गई है गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालु गुरुवर देर न हो अब आने को .....
ऐसा लगा गुरु दर पे मैंने जब गुरु दर्शन पाये
लाखो बरस के प्यासे को अमृत सागर मिल जाये
भटक गया गुरुवर मैं जग में राह मिले अनजाने को
आँखे मेरी तरस गई है गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालु गुरुवर देर न हो अब आने को .....
कल कल में मैंने जीवन खोया जीवन की हो शाम
शाम से पहले मुझको जाना गुरुवर के निज धाम
आए हो मेरे गुरुवर न कहना अब जाने को
आँखे मेरी तरस गई है गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालु गुरुवर देर न हो अब आने को .....
जिस सरिता से बहता सुधारस वो गुरु अमृत वाणी
जिस ज्योति से मोह विनाशे वो ज्योति है जगानी
अँधियारा छाया है गुरुवर आओ ज्योत जलाने को
आँखे मेरी तरस गई है गुरुवर दर्शन पाने को
आ जाओ हे दयालु गुरुवर देर न हो अब आने को .....
ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
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