Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

Search This Blog

संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

जिसे खुद के सुखों की कोई चाह नही

 जिसे खुद के सुखों की कोई चाह नही

मेरे जीवन बिन जिसकी कोई राह नही।।धृ।।

वार दे मुझपे दुनिया का प्यार वो

मेरे माता पिता सम प्यार नही

जिसे खुद के सुखों की कोई चाह नही


सुख का दरिया प्यार का सागर

मेरी माँ है ममता की गागर 

सीने से लगाकर दूध है पिलाया

लोरी गाकर है सुलाया

थक हार जाए घर के काम मे

फरियाद ना रखती होठों पर

जिसे खुद के सुखों की परवाह नही

घर की डोरी बंधी है मेरी माँ से ही

वार दे मुझपे दुनिया का प्यार वो

मेरे माता पिता सम प्यार नही


हिंमत देते राह दिखाते 

हारी बाजी पिता है जिताते

गम से भरी हुई अंधेरी रातों मे

आशा की लौ जगाते

रखते वो मन में ही वेदना और

आँखों से प्रेम छलकाते

जिसे खुद के सपनों का ख्याल नही

दिया सबकुछ है फिर भी अभिमान नही

वार दे मुझपे दुनिया का प्यार वो

मेरे माता पिता सम प्यार नही


मात पिता की महिमा बताए

भूले भटके को राह दिखाए

गुरु है सहारा सच्चा इस दुनिया में 

भव दुःख से पार लगाए

ईश्वर दिखे जिसके ज्ञान से

गुरु आत्म तत्व में जगाए

गुरु के चरणों के बिन उद्धार नही 

गुरु महिमा का कोई पार नही

वार दे मुझपे दुनिया का प्यार वो

गुरु माता पिता सम प्यार नही

जिसे खुद के सुखों की कोई चाह नही...

Audio

मात पिता है देव मेरे

 मात पिता है देव मेरे और 

गुरु मेरे भगवान है

भूल न जाना हे मानव तू

ईश्वर की संतान है

मातृ पितृ देवो भव


चलते चलते रुक ना जाना

तेरा है यह काम नही

आदर्शों को भूल गया तो

तुमसा ना नादान कहीं

सदाचार की गंगा बहती

ऐसा हिंदुस्तान हैं

भूल न जाना हे मानव तू

ईश्वर की संतान है

मातृ पितृ देवो भव


श्रवण की मातृ भक्ति को देखो

ऐसी वो मशाल है

मिट ना सकता जल ना सकता

ऐसा बेमिसाल है

अच्छी सीख लेना ही प्यारे

जीवन बने महान है

भूल न जाना हे मानव तू

ईश्वर की संतान है

मातृ पितृ देवो भव


माँ की ममता का छाया है

गुरुवर के ही प्यार में

बचा लिया है मेरी नाव को

बीच भँवर मझधार से

हम तो बापूजी के बच्चे

हमको तो अभिमान हैं

भूल न जाना हे मानव तू

ईश्वर की संतान है

मातृ पितृ देवो भव


पूजन करूंँ मैं माता पिता का

 पूजन करूंँ मैं माता पिता का

निज संस्कृति अपनाऊ मैं

गुरुवर के संकेत वे चलकर 

जीवन सफल बनाऊँ मैं


तिलक लगाऊँ हार पहनाऊँ

मेरी प्यारी मैया को 

दीप जलाऊँ पुष्प चढाऊँ

वंदन करता हूँ उनको

भारत पुण्य धरा की महिमा 

निज आदर्श बनाऊँ मैं 

पूजन करूंँ मैं माता पिता का...


शीश झुकाऊँ फेरे लगाऊँ

आपका आशिष पाऊँ मैं

तन मन अर्पित जीवन मेरा

चरणों मैं ही लगाऊँ मैं

कर्ज है मुझपर मात पिता का

कैसे उसे चुकाऊँ मैं 

पूजन करूंँ मैं माता पिता का...


जिस माँ ने हमें नाै मास तक

गर्भ में बहुत संभाला है

जीवन के ‌सुख दुःख सहकर भी

कैसै हमको पाला है

मात पिता गुरु चरणों में ही

मेरे चारों धाम हैं 

पूजन करूंँ मैं माता पिता का...


गीले मे खुद सोकर मुझको

सूखे मे ही सुलाया है

भूखे रहकर उसने मुझको

अपना कौर खिलाया है 

उस माँ का ऋण कैसै चुकाऊँ

माँ ममता की खान है

पूजन करूंँ मैं माता पिता का...


जीवन में सबकुछ मिल जाएँ 

मात पिता ना मिलते है

मात पिता गुरु की सेवा से

किस्मत रेखा बदले है

उनकी आज्ञा में चलना ही 

मेरा सच्चा धर्म हैं

पूजन करूंँ मैं माता पिता काAudio...


बापू ने लीलाशाह जी की 

सेवा कर यह पद पाया

ब्रह्मज्ञान को हँसते गाते

हम सबको है सिखलाया

लाखों मिलते मात पिता दिल

तब सदगुरु दिल बनता हैं

पूजन करूंँ मैं माता पिता का...

Audio

ॐ जय जय माता पिता

 ॐ जय जय मात पिता 

प्रभु गुरूजी मात पिता

सद्भाव देख तुम्हारा 

मस्तक झुक जाता

ॐ जय जय माता पिता 


कितने कष्ट उठाए

हमको जनम दिया

मैय्या पाला बड़ा किया

सुख देती दुःख सहती

पालनहारी माँ

ॐ जय जय माता पिता 


अनुशासित कर आपने

उन्नत हमें किया

पिता आपने जो हैं दिया

कैसे ऋण मैं चुकाऊँ

कुछ न समझ आता

ॐ जय जय माता पिता 


सर्वतीर्थमयी माता

सर्वदेवमय पिता

ॐ सर्वदेवमय पिता

जो कोई इनको पूजें

पूजित हो जाता

ॐ जय जय माता पिता 


मात पिता की पूजा

गणेशजी ने भी की

श्री गणेशजी ने भी की

सर्व प्रथम गणपति को

ही पूजा जाता

ॐ जय जय माता पिता


बलिहारी सद्गुरु की

मारग दिखा दिया

सच्चा मारग दिखा दिया

मातृ पितृ पूजन कर

जग जय जय गाता

ॐ जय जय माता पिता


मातृ पितृ गुरू की

आरती जो गाता

है प्रेम सहित गाता

वो संयमी हो जाता

सदाचारी हो जाता

भव से तर जाता

ॐ जय जय माता पिता


लफंगे लफ़ंगियों की नकल छोड़

गुरूसा संयमी होता

गणेशजी सा संयमी होता

स्वयं आत्मसुख पाता

औरों को पवाता

ॐ जय जय माता पिता


ॐ जय जय माता पिता 

प्रभु गुरूजी माता पिता

सद्भाव देख तुम्हारा 

मस्तक झुक जाता

ॐ जय जय माता पिता