मन में बसा के तेरी मूर्ति
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
कृपा आपकी भव से हैं तारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...
ब्रह्म नाद विष्णु शंख भोले का डमरू
बोले सदा सृष्टि में सर्वोच्च हैं गुरू
वेद पुराणों में भी हैं यहीं लिखा
ज्ञानियों के ज्ञानियों ने हैं यहीं कहा
गुरुमुख से बोलती हैं माँ भारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...
काम क्रोध मोह माया लोभ सताए
ज्ञान का प्रकाश सबसे मुक्ति दिलाए
सतगुरू कृपा हैं तो काहे का हैं डर
सतगुरू के नाम का अनोखा हैं असर
गुरुकृपा ही पापों को हैं सँहारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...
देव दानव यक्ष मनुज सबकी भावना
जानते हैं आप करते पूर्ण कामना
आपकी नजर से कोई भेद ना छुपे
आप अगर चाहे तो कालरथ रूके
आपकी दया दृष्टि दुःख निवारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...
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