कितना सुंदर कितना प्यारा
देते है नित्य नवीन ख़ुशी है हमको ये हर बार
देते है नित्य नवीन ख़ुशी है हमको ये हर बार
जग पे नहीं भरोसा हमको इन्ही पे है ऐतबार
जग पे नहीं भरोसा हमको इन्ही पे है ऐतबार
कभी ये द्वार न छुटे कभी ये विश्वास न टूटे
गहरा है भवसागर और तुमही तारणहार
गहरा है भवसागर और तुमही तारणहार
तूफानों में कष्ट और तुमही ठेवन तारणहार
तेरे हाथों सौंप दी हमने जीवन की पतवार
कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार
हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार
कभी ये विश्वास न टूटे कभी ये द्वार न छुटे
तेरी भक्ति से बनते है बिगड़े कारज सारे
तुम ही मुकुट मणि हो तुम ही सरताज हमारे
तेरी शरण में आकर हमने पाया सच्चा साथ
कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार
हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार
तेरे श्रीचरणों बहती है प्रेम की धारा
उनमे सब तीर्थ ये तीर्थराज हमारा
बिना तुम्हारे अपने में भी जीना है बेकार
कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार
हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार
कभी ये द्वार न छुटे कभी ये विश्वास न टूटे
देते है नित्य नवीन ख़ुशी है हमको ये हर बार
देते है नित्य नवीन ख़ुशी है हमको ये हर बार
जग पे नहीं भरोसा हमको इन्ही पे है ऐतबार
जग पे नहीं भरोसा हमको इन्ही पे है ऐतबार
कभी ये द्वार न छुटे कभी ये विश्वास न टूटे
गहरा है भवसागर और तुमही तारणहार
गहरा है भवसागर और तुमही तारणहार
तूफानों में कष्ट और तुमही ठेवन तारणहार
तेरे हाथों सौंप दी हमने जीवन की पतवार
कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार
हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार
कभी ये विश्वास न टूटे कभी ये द्वार न छुटे
तेरी भक्ति से बनते है बिगड़े कारज सारे
तुम ही मुकुट मणि हो तुम ही सरताज हमारे
तेरी शरण में आकर हमने पाया सच्चा साथ
कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार
हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार
तेरे श्रीचरणों बहती है प्रेम की धारा
उनमे सब तीर्थ ये तीर्थराज हमारा
बिना तुम्हारे अपने में भी जीना है बेकार
कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार
हम करते है इस द्वारे को वंदन बारंबार
कभी ये द्वार न छुटे कभी ये विश्वास न टूटे
No comments:
Post a Comment