ॐॐॐ बापू जल्दी बाहर आयें। बापू जल्दी बाहर आयें।
ये संकल्प हमारा, जल्दी दरश दिखायें।।
बापू जल्दी बाहर आयें…
बापू जल्दी बाहर आयें…
भक्तों के लिए तुमने कितने कष्ट सहे। बापू कितने कष्ट सहे।
जब-जब तुम्हें पुकारा, दौड़े चले आये।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
मात-पिता हम सबके, बंधु सखा तुम्हीं। बापू बंधु-सखा तुम्हीं।
तुम बिन कौन हमारा, विनती सुन लो मेरी।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
ज्ञान भक्तिमय अमृत आपने हमको दिया। बापू आपने हमको दिया।
निंदा-अपयश जैसे, विष को स्वयं पिया।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
संस्कृति रक्षा हेतु, है अवतार लिया। बापू ने अवतार लिया।
दोषरहित होकर भी, बँधना स्वीकार किया।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
करूणा सागर गुरुवर लीला कर ये रहे। बापू लीला कर ये रहे।
अंतर्यामी होकर, सब कुछ देख रहे।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
तुमसे हम हैं बापू और न कोई जग में। बापू और न कोई जग में।
तुम ही दूर हुए तो, जायें कहाँ बच्चे ?
बापू जल्दी बाहर आयें।।
बापू जल्दी बाहर आयें।।
भक्त पुकारें बापू ! अब तो दरश दिखाओ। बापू अब तो दरश दिखाओ।
राह निहारें हम सब, अब न देर करो।
बापू जल्दी बाहर आओ।।
बापू जल्दी बाहर आओ।।
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