Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

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संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

नर तन है बडा अनमोल

ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
नर तन है बडा अनमोल
तू समझ ले इसका मोल
प्रभू नाम तू मुख से बोल
अभिमान में युँ ना डोल

तुझे कहने समझने की 
प्रभू ने दी है शक्ति
ना व्यर्थ गवाँ जीवन
प्रभू की कर ले भक्ति
जाए युँ ही समय बीता
उठ नींद से अखियाँ खोल

जीने को युँ जीवन 
पशु पक्षी भी जीते है
क्या फर्क है फिर हम में
गर जन्म युँ जीते है
क्या खोया क्या पाया
इसको भी तराजू में तोल

इसकी उसकी बातों में
है क्या आनी जानी
अपने भीतर भी झाँक
क्यों करता है नादानी
प्रभू देख रहे है सबको
तेरी खुल जाएगी पोल

चुपचाप ये जीवनभर
करता है तू समझोता
बाहर से हँसता है
पर भीतर से रोता
कबतक तू बजाएगा
बेताला ये तो ढोल

क्या लेकर आया था
क्या लेकर जाएगा
कर ले ईश्वर का भजन 
सुख चैन तू पाएगा
सब माया का बंधन है
तू भूल ना अपना कौल
नर तन है.....


नर तन है बडा अनमोल

ॐ हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ
नर तन है बडा अनमोल
तू समझ ले इसका मोल
प्रभू नाम तू मुख से बोल
अभिमान में युँ ना डोल

तुझे कहने समझने की 
प्रभू ने दी है शक्ति
ना व्यर्थ गवाँ जीवन
प्रभू की कर ले भक्ति
जाए युँ ही समय बीता
उठ नींद से अखियाँ खोल

जीने को युँ जीवन 
पशु पक्षी भी जीते है
क्या फर्क है फिर हम में
गर जन्म युँ जीते है
क्या खोया क्या पाया
इसको भी तराजू में तोल

इसकी उसकी बातों में
है क्या आनी जानी
अपने भीतर भी झाँक
क्यों करता है नादानी
प्रभू देख रहे है सबको
तेरी खुल जाएगी पोल

चुपचाप ये जीवनभर
करता है तू समझोता
बाहर से हँसता है
पर भीतर से रोता
कबतक तू बजाएगा
बेताला ये तो ढोल

क्या लेकर आया था
क्या लेकर जाएगा
कर ले ईश्वर का भजन 
सुख चैन तू पाएगा
सब माया का बंधन है
तू भूल ना अपना कौल
नर तन है.....


आज मेरे गुरु ने बतलाया

आज मेरे गुरु ने बतलाया
मुझको ये ही ज्ञान
ब्रम्ह है सब में एक समान
ब्रम्ह है सब में एक समान
ब्रम्ह एक अद्वैत रूप है
नही भेद स्थान
ब्रम्ह है सबमें.....

विद्या विनय युक्त ब्राम्हण में
गौ हस्ती अरु पशु पक्षिण मे 

वही आत्मा है श्वासन में 
वही रम रहा है हरिजन में
ये सब जग जगदीश रूप है
करो इसी का ध्यान
ब्रम्ह है सबमें.....

ना वो जन्मे ना वो मरता
ना वो जलता ना वो गलता
ना वो घटता ना वो बढ़ता
सदा एक ही रूप में रहता
अविनाशी निर्गुण निर्लेपि 
व्यापक उसको जान
ब्रम्ह है सबमें.....

मन से तो वो कथा न जावे
वाणी से भी कहा न जावे
सतगुरु अब कैसे समझावे
नेति नेति कह वह बतावे
खुद ही खुद को तुम पहचानो
ब्रम्ह है सबमे......



करुणा करो गुरुदेव रहमत करो गुरुदेव

करुणा करो गुरुदेव रहमत करो गुरुदेव
अब तो आ भी जाओ जल्दी आ भी जाओ ।।धृ।।
ऐसे ना रुलाओ जल्दी आ भी जाओ
दरश को तरसे ये नैना दिन कटे ना कटे ये रैना
देर ना लगाओ
अब तो आ भी जाओ....

तेरे सिवा मेरा कोई नही तुझसे ही मेरी जिंदगी
साँसों में हो तेरा सुमिरन साधना मेरी यही
तुम से शोहरत है हमारी तुम ही दौलत हो हमारी
तुमसे रौशन चाँद तारे हर ख़ुशी हर एक नज़ारे
हर ख़ुशी हर एक नज़ारे
लौट अब आओ
अब तो आ भी जाओ....

आ भी जाओ ना गुरूजी आ भी जाओ ना
युँ रुलाओ ना गुरूजी यूँ रुलाओ ना

हमको बस तेरी जरूरत दिल में ख्वाइश है तेरी
दरश बिन तेरे गुरुवर भीगी है अखियाँ मेरी
सूना लगता ये जहाँ है फीका लगता है हर समा है
यूँ ना तड़पाओ
अब तो आ भी जाओ.....

यूँ तो है जग में हजारों पर कोई तुमसा नही
तेरे दर पे जो है मिलता वो नही मिलता कहीं
तेरे कदमों में है जन्नत हमको है बस तेरी चाहत 
पास हरदम तुम रहोगे दिल ने माँगी है ये मन्नत
मान भी जाओ 
अब तो आ भी जाओ.....



दिल में प्रेम की ज्योत जलाई

दिल में प्रेम की ज्योत जलाई
दिल में प्रेम की ज्योत जलाई
गुरु से ऐसी प्रीत लगाई
मेरी प्रीत कभी ना टूटे
ऐसा वर दे दो

शबरी के घर आए थे
जूठे बेर जो खाए थे
भक्ति का वरदान दिया
उसका भी कल्याण किया
तेरा दर है सबसे प्यारा
तेरा दर है सबसे प्यारा
कर दो रेहमत साँई 
दिल में.....

मीरा को भी तार दिया
विषधर को भी हार किया
तुम सबके रखवारे हो
जग में सबसे प्यारे हो
तुम हो कृपा के सिंधु गुरुवर
तुम हो कृपा के सिंधु गुरुवर
कर दो रेहमत साँई
दिल में.....

साथ तेरा ये छूटे ना
मेरी श्रद्धा टूटे ना
गुरुवर का दीदार किया
मुझको भव से पार किया
खेल अजब है तेरा साँई
खेल अजब है तेरा साँई 
मोहे समझ ना आई
दिल में......

गुरुवर ही संसार है
गुरु ब्रम्ह का सार है
गुरुवर तारणहारे है
गुरु ही भव से तारे है
धन्य हुआ मैं इस जीवन में
धन्य हुआ मैं इस जीवन में
कर दो रेहमत साँई

                                                                                   

कृपा की एक नज़र गुरुवर

कृपा की एक नज़र गुरुवर 
हमारी ओर कर देना
मिटा कर मोह तम उर-दीप
में तुम ज्योति भर देना


बिना तेरी कृपा के नाव 
धारा में फँसी मेरी 
धारा में फँसी मेरी
पकड़ पतवार मंज़िल दूर
बेडा पार कर देना
कृपा की एक नज़र....


बहा दो प्रेम की गंगा
दिलों में प्यार का सागर
दिलों में प्यार का सागर
हमें आपस में मिल-जुलकर
प्रभू रहना सिखा देना
कृपा की एक नज़र....


हमारे ध्यान में आओ 
प्रभू आँखों में बस जाओ
प्रभू आँखों में बस जाओ
ह्रदय में भक्ति रस भरकर 
मन हरिमय बना देना
कृपा की एक नज़र.....


ये मन चंचल नही माने
फँसा भ्रम् जाल में तड़पे

फँसा भ्रम् जाल में तड़पे
लगाकर निज चरण में दास
तुम अपना बना लेना
कृपा की एक नज़र.....





जिस दिन गुरुजी तेरा दर्शन होगा

जिस दिन गुरुजी तेरा दर्शन होगा
उस दिन सफल मेरा जीवन होगा
तन मन मेरा तेरे पर जब अर्पण होगा
जिस दिन......

मेरे मन के मन्दिर में मैं तुझको बिठाउँगा
भाव भरे उपहार तेरे चरणों में चढ़ाऊँगा
असूअन की धारा से अर्चन होगा
उस दिन सफल मेरा जीवन होगा
जिस दिन.....

तेरा मेरा रिश्ता गुरूजी बहुत है पुराना
मुझको गुरूजी मेरे कभी ना भुलाना
ध्यान तेरा जब निशदिन होगा
उस दिन सफल मेरा जीवन होगा
जिस दिन......

जैसा भी कहोगे मुझको वैसा ही मंजूर है
दृष्टि दया की मेरे पर भरपूर है
तेरी कृपा से मन दर्पण होगा
उस दिन सफल मेरा जीवन होगा
जिस दिन.....



रे मन मस्त सदा दिल रहना




रे मन मस्त सदा दिल रहना

आन पड़े सो सहना
रे मन......
   कोई दिन कम्बल,कोई दिन अम्बर
   कब दिगंबर सोना
आत्म नशे में देह भुलाकर 
साक्षी होकर रहना
रे मन......
   कोई दिन घी गुड़ मौज उड़ाना
   कोई दिन भूख सहाना
   कोई दिन वाडी कोई दिन गाडी
कब मसान जगाना
रे मन.....
   कोई दिन खाट पलंग सजाना
   कोई दिन धूल बिछौना 
कोई दिन शाह बने शाहों के
कब फकीरा दीना
रे मन......
    कड़वा मीठा सबका सुनना 
    मुख अमृत बरसाना 
समझ सुख दुःख नभ-बादल सम
रंग-संग छुड़ाना
रे मन......


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