साधकों ने हैं बाँधी प्रेम की डोरी
सदगुरू आएँगे
हम सबकी लगी हैं प्रीत की डोरी
सदगुरू आएँगे
अपना बनाते दर पे बुलाते
गिरते हुओं को उठाते हैं
मेरे सदगुरू हैं इतने महान
जो रखते हैं सबका ध्यान
गहरा पावन दुर्लभ सत्संग
सबको सहज में सुनाते हैं गुरूवर
नाम की दौलत मोक्ष की कुँजी
हम सबको दे देते हैं गुरूवर
सबसे निराले सबको संभाले
हम सबके रखवाले हैं
मेरे सदगुरू हैं इतने महान
जो रखते हैं सबका ध्यान
धन दौलत और मान बढाई
इनका मोह छुडाते हैं गुरूवर
भीतर का सुख आनंद शांति
अंतर घट में दिलाते हैं गुरुवर
तन भी हैं तेरा मन भी हैं तेरा
तुम ही केवल हमारे हो
मेरे सदगुरू हैं इतने महान
जो रखते हैं सबका ध्यान
द्वार पे इनके जो भी आता
खाली नहीं लौटाते हैं गुरूवर
झोली भरते दुःख भी हरते
दाता सभीके कहाते हैं गुरूवर
विघ्न विनाशी सब ऊर वासी
तुम ही जग से न्यारे हो
मेरे सदगुरू हैं इतने महान
जो रखते हैं सबका ध्यान