पूजन करूँ मैं मात पिता का
निज संस्कृति अपनाऊँ मैं
गुरुवर के संकेत पे चल के
जीवन सफल बनाऊँ मैं
तिलक लगाओ हार पहनाओ
मेरी प्यारी मैय्या को
दीप जलाओ पुष्प चढ़ाओ
वंदन करता हूँ उनको
भारत पुण्य धरा की महिमा
निज आदर्श बनाऊँ मैं
पूजन करूँ...
शीश झुकाऊँ फेरे लगाऊँ
आपका आशीष पाऊँ मैं
तन मन अर्पित जीवन मेरा
चरणों में ही लगाऊँ मैं
कर्ज है मुझपर मात पिता का
कैसे उसे चुकाऊँ मैं
पूजन करूँ...
जिस माँ ने हमें नौ मास तक
गर्भ में बहुत संभाला है
जीवन के सुख दुःख सह के भी
कैसे हमको पाला है
मात पिता गुरु चरणों में ही
मेरे चारों धाम है
पूजन करूँ...
गीले में ही खुद सोकर मुझको
सूखे में ही सुलाया है
भूखी रहकर उसने मुझको
अपना कौर खिलाया है
उस माँ का ऋण कैसे चुकाऊँ
माँ ममता की खान है
पूजन करूँ...
जीवन में सबकुछ मिल जाए
मात पिता ना मिलते है
मात पिता गुरु सेवा से
किस्मत रेखा बदले है
उनकी आज्ञा में चलना ही
मेरा सच्चा धर्म है
पूजन करूँ...
बापू ने लीलाशाहजी की
सेवा कर यह फल पाया
ब्रम्हज्ञान को हँसते गाते
हम सबको है सिखलाया
लाखों मिलते मात पिता दिल
तब सद्गुरु दिल बनता है
पूजन करूँ...
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