तेरी महिमा का गुरुवर, नहीं कोई पार है,
साधक की साधना का, तू ही आधार है,
सार्थक है मेरा जीवन, जोगी बस तेरे चिंतन में,
श्रद्धा रहे अखंड तेरे चरणों में, ओ जोगी,
श्रद्धा रहे अखंड तेरे चरणों में...
तेरा दिया नाम गुरुवर, जीवन का सार है,
जोगी तेरे नाम की तो, महिमा अपार है,
जो पाया है तुमसे, ऐसी किरपा तेरे सुमिरण में,
प्रीति रहे अखंड तेरे चरणों में, ओ जोगी,
प्रीति रहे अखंड तेरे चरणों में...
हर भक्त की खाली झोली को, रहमत से भरते है,
इनसे जो पाया वो, और कहीं ना मिलता है,
हम जहाँ कहीं भी जाएँ, सुमिरण इनका होता है...
और जगह तो रहमत की बस बात होती है,
मेरे जोगी के दर रहमत की बरसात होती है...
मेरे तन में, मेरे मन में, मेरे रोम-रोम में, जीवन में,
बचपन में, यौवन में, चाहे जरा, धूप या सावन में,
प्रीति रहे अखंड तेरे चरणों मे, ओ जोगी,
प्रीति रहे अखंड तेरे चरणों मे...
हमको सारी दुनिया में, ये दर ही प्यारा है,
शक्ति भक्ति मुक्ति मिले यहाँ, ज्ञान उजियारा है,
सार्थक है मेरा जीवन, जोगी बस तेरे चिंतन में,
भक्ति रहे अखंड तेरे चरणों में, ओ जोगी,
भक्ति रहे अखंड तेरे चरणों में...
वंदन में, सुमिरण में, पूजन में या चिंतन में,
चाहे मन में, कण-कण में, देखूँ मैं तुमको हर क्षण में,
प्रीति रहे अखंड तेरे चरणों में, ओ जोगी,
प्रीति रहे अखंड तेरे चरणों में...
जगमग यहाँ जगमगाती, ज्योति इनके ज्ञान की,
ज्ञान का प्रकाश यहाँ, क्या कीमत अज्ञान की,
कण-कण में, क्षण-क्षण में, तेरा रूप समाया हर मन में,
शांति मिले अखंड तेरे चरणों में, ओ जोगी,
शांति मिले अखंड तेरे चरणों में...
कमी रहे कोई भी ना, देते ऐसा प्यार है,
मुक्ति इनके दर पे मिलती, ये तारणहार है,
लग जाए, ये जीवन, बस इनके सेवा सुमिरण में,
भक्ति रहे अखंड तेरे चरणों में, ओ जोगी,
भक्ति रहे अखंड तेरे चरणों में...