गुरुवर तुम हो अंतर्यामी
तुम्हरी महिमा किसी
ने ना जानी
वहाँ नहीं पहुँचे
किसी की भी वाणी
हर ओर है प्रभु तेरी
ही खुदाई
तुम ही तो हो भवरोग
की दवाई
तेरी याद से आँख भर
आई
सह न सके हम तेरी
जुदाई
तुमने जो पकड़ा है
हाथ ये मेरा
ये तो प्रभु उपकार
तेरा
मेरे जीवन में था
घोर अंधेरा
तेरे आने से ही हुआ
है सवेरा
मन भावन गुरु छवि है
तुम्हारी
सुखकर हितकर वाणी
तुम्हारी
तुम ने रखी सदा लाज
हमारी
क्षण में हरण की
मुश्किलें सारी
तुमने ही सबके काज
सँवारे
धन्य हुए हम जो आए
तेरे द्वारे
झूठे हैं दुनिया के
रिश्ते सारे
जान गए हम तुम ही
हमारे
वैकुण्ठ को छोड़ जग
में तुम आए
वेद और शास्त्र सब
तेरी महिमा गाए
हर क्षण प्रभु हम
तुमको ही ध्यायें
हर जनम में प्रभु
तुमको ही पायें
गर फिसलूं मैं तो
तुम ही बचाना
जहाँ देखूँ वही तुम
नजर आना
मेरा तो लक्ष्य है
तुमको पाना
अपना सभी कुछ तुम्ही
को है माना
तुमही मेरे राम हो
तुमही मेरे श्याम हो
भव जल पार करते वही
तुम नाम हो
ईश्वर का रूप हो तुम
मस्ती का जाम हो
हम सबके जीवन में
शांति का पैगाम हो
तुमही मेरे राम हो
तुमही मेरे श्याम हो ।
तुम्ही से मेरी हर
खुशी, तुम ही तो मेरी दुनियाँ हो
तुमही जीने का मकसद,
तुम ही मेरी तमन्ना हो
तुम्हारे चरणों में
गुरुवर, तीर्थ आके झुकता है
तेरे दर पर ही ओ
गुरुवर, भटका मन ये रुकता है
तेरे रहमो करम से ही
इस जग में उजाला है।
भव से पार करता है
तेरा ये प्यार निराला है
पापी से भी पापी को
है गुरुवर पावन कर देते
बिन
माँगे ही सबकी है गुरुवर झोली भर देते
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