Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

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संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

तुळसी माता आरती मराठी

आरती श्री तुळसी मातेची 

विष्णुप्रिया वृंदावनजींची

आरती श्री तुळसी मातेची ...


सुरवर मुनीजन महिमा गाती

नारद शारद शीश नमविती

सर्व मिळूनी जयकार हो करती

तुळसी मातेची आरती गाती

आरती श्री तुळसी मातेची 

विष्णुप्रिया वृंदावनजींची

आरती श्री तुळसी मातेची ...


निशदिन प्रेमाने जल जो अर्पितो

अरोग्य आनंद सहज मिळवितो

प्रभु हृदयी विराजितो 

भक्ति फळाचा आनंद घेतो

आरती श्री तुळसी मातेची 

विष्णुप्रिया वृंदावनजींची

आरती श्री तुळसी मातेची ...


तूळसी सेवन नित्य जो करतो

बळ बुद्धि आणि तेज वढवितो

तुळसी सर्व रोग मिटवी

घरोघरी सुख समृद्धि आली

आरती श्री तुळसी मातेची ...


तुजविण हरिला भोग ना आवडे

प्रभु हृदयीं प्रेम हो वाढे

बने प्रभुची दिव्य प्रसादी

मिळे ज्याला तो धन्य होई

आरती श्री तुळसी मातेची ...


तुळसी माळा ज्याच्या कंठी

प्रभु नामाचा गजर हो मुखी

यम भीतीतून मुक्ति मिळवी

पुण्य पवित्रता शुभ गती मिळवी  

आरती श्री तुळसी मातेची ... 


बापूजींनी संकल्प केला

तुळसी महिमा जगाने ओळखिला

घरोघरी लाविली तुळसी 

मना मना मध्ये प्रभुंची प्रीती

आरती श्री तुळसी मातेची ...


माह डिसेंबर 25 येता

तुळसी पूजन करितो साजरा

तो नर अमिट पुण्यफळ मिळवी

जीवन आपले धन्य बनवी

आरती श्री तुळसी मातेची ...

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तुलसी माता आरती

जय तुलसी माता मैय्या जय तुलसी माता

तुमको निशदिन सेवत हरिविष्णु विधाता

 ॐ जय तुलसी माता...


जिस घर तुम रहती हो सब सदगुण आता

मैय्या सब सदगुण आता 

सब संभव हो जाता विवेक निखर जाता

 ॐ जय तुलसी माता...


जो ध्यावे फल पावै दुःख विनसे मन का

मैय्या दुःख विनसे मन का

सुख संपत्ती घर आवे, रोग मिटे तन का

ॐ जय तुलसी माता...


जहाँ भी तुम रहती हो यमदूत नहीं आता 

यमदूत नहीं आता 

नित्य बढ़े हरि भक्ति चरण रति पाता

ॐ जय तुलसी माता...


पत्र प्रसादी जो कोई नित पाता 

महाभयानक रोग भी उससे भय पाता

ॐ जय तुलसी माता...


वृंदावनी वृंदा  विश्वव्यापिनी  हरिप्रिया

कृष्णाजीवनी तुलसी तुम ही पापांकुशा

ॐ जय तुलसी माता...


तुलसी माता की आरती जो कोई नित गावे

कहत संत जन सब ही , भुक्ति मुक्ति पावे

ॐ जय तुलसी माता...


जय तुलसी माता मैय्या जय तुलसी माता

तुमको निशदिन सेवत हरिविष्णु विधाता

 ॐ जय तुलसी माता...

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जय जय जय तुलसी माता

गुणों की खान धरा पे वरदान

हे तुलसी माता तुम्हें प्रणाम 

गुणों की खान हो धरा पे वरदान हो

हे तुलसी माता तुम्हें प्रणाम 

जय जय जय तुलसी माता  ...


कुदरत का मानवता को सबसे बड़ा उपहार हैं

दिव्य गुणों से पूर्ण करती सबका उपकार हैं

आज तेज अरोग्यदायिनि वृंदावनी

विनती हैं हमारी , नित करें तुम्हारी वंदना

हे कृष्णजीवनी

घर घर जाकर के तेरा गुणगान करेंगे

वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें


साधारण वृक्ष नहीं तुम एक वरदान हो

दुःख चिंता सब नष्ट हो जाए रहती जिस द्वार हो

दुष्ट शक्तियों की नाशक हे पुष्पसारा

विपदा को भगाए कष्टों को मिटाए ये तेज तुम्हारा

माँ तुलसी 

हर एक क्यारी को तेरी खुशबू से भरेंगे

वृंदा अभियान करेंगें

जय जय जय तुलसी माता  ... 


हे तुलसी माता तेरी महिमा अपार हैं

तुझमें समाया सब रोगों का उपचार हैं

यमदंड से भी बचाए हे नंदिनी 

दर्शन से तुम्हारे मिटे पाप सारे

वंदन हे विष्वपावनी

संस्कृति की हो रक्षा ये आवाहन करेंगे

वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें, वृंदा अभियान करेंगें

जय जय जय तुलसी माता  ... 

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तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा

 तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे ।

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ।।

तेरे बिना,तेरे बिना,तेरे बिना मुझे कुछ भाए नहीं रे

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


तेरे पूजा के बिना दिन मेरा सँवरना

जल चढाए बिना तृप्ति मुझे मिले ना

तेरे बिना,तेरे बिना,तेरे बिना सुबह कुछ होता नहीं रे

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


तेरे बिना बगिया की शोभा नहीं रे

इत्र गुलाब भी फीका लागे रे

तेरे बिना,तेरे बिना,तेरे बिना आरोग्य टिके नहीं रे

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


विश्व पावनी मैय्या तुझे कहते हैं 

हरिप्रिया वृंदावनी तेरे नाम हैं

देवों ने भी महिमा तेरी गाई हैं

तुलसी माँ तेरे बिना आँगन मेरा सूना लागे रे

सूना लागे रे,सूना लागे रे, ओ मैय्या सूना लागे रे ...


भक्ति मुक्ति गुरू बिना फले नहीं रे

ऊँचा ज्ञान सच्चा सुख मिले नहीं रे

गुरू बिना गुरू बिना गुरू बिना ईश कोई पाए नहीं रे

गुरू के नाम बिना ये जीवन ये कैसे तारेगा

कैसे तारेगा, ये जीवन कैसे तारेगा 

गुरू बिना, सदगुरू बिना ,गुरू बिना ब्रह्मज्ञानी कैसे मिलेगा

गुरू के नाम बिना ये जीवन ये कैसे तारेगा

कैसे तारेगा, ये जीवन कैसे खिलेगा

गुरू के नाम बिना ये जीवन ये कैसे तारेगा

कैसे तारेगा, ये जीवन कैसे तारेगा

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तुलसी नामाष्टकम

 वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम् ।

पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम् ॥

एतन्नामाष्टकं चैतत्स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् ।

यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ॥

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हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए

 कि सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए

कि मुझको तो बस इतनी सी सौगात चाहिए

कि हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

और सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए


मेरी आँखों के तुम तो तारे हो

जान से ज्यादा मुझे प्यारे हो 

रूठे सारी दुनिया तुम रूठना नहीं

मुझको तेरे प्यार की बरसात चाहिए 

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए


भर दें झोली मेरी एक पल में

बात बापू की मेरे निराली 

आए हैं जब भी आँखों से आँसू 

कर दिए दूर दर्दो को पल में 

मैंने जब भी पुकारा गुरू को 

आके डोरी उन्होंने सँभाली

भर दें झोली मेरी एक पल में

बात बापू की मेरे निराली 


मुझपे तरी कृपा ये कम ना हैं

फिर भी छोटीसी एक तमन्ना हैं

मर न जाए बापू तुम्हें याद करके

और जीते जी एक तुमसे मुलाकात चाहिए

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए


मेरी दुनिया को तुम बसाए हो 

मेरी साँसों में तुम समाए हो

दिन में साथ साथ तुम रहो मेरे

और सपनों में आते रहो वो रात चाहिए 

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए 


सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए

मुझको तो बस इतनी सी सौगात चाहिए 

हर जनम में बापू तेरा साथ चाहिए 

सर पे मेरे नाथ तेरा हाथ चाहिए

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थोड़ा ध्यान लगा गुरूवर दौड़े दौड़े आएँगे

थोड़ा ध्यान लगा गुरूवर दौड़े दौड़े आएँगे

थोड़ा ध्यान लगा गुरूवर दौड़े दौड़े आएँगे 

तुझे गले से लगाएँगे।

अखियाँ मन की खोल, तुझको दर्शन वो कराएँगे

अखियाँ मन की खोल, तुझको दर्शन वो कराएँगे

थोड़ा ध्यान लगा...


हैं राम रमिया वो, हैं कृष्ण कन्हैया वो, वही मेरा ईश है।

सत्कर्म राहों पे चलना सिखते वो, वही जगदीश हैं।

प्रेम से पुकार तेरे पाप को जलाएँगे, 

थोड़ा ध्यान लगा...


किरपा की छाया में बिठाएँगे तुझको, कहाँ तुम जावोगे।

उनकी दया दृष्टि जब जब पड़ेगी तुम ये भव तर जावोगे।

ऐसा है विश्वास मन में ज्योत वो जगायेंगे, 

मन में ज्योत वो जलाएँगे॥

थोड़ा ध्यान लगा...


मुनिओं ने ऋषिओं ने, गुरु शिष्य महिमा का, किया गुणगान है।

गुरूवर के चरणो में, झुकती सकल सृष्टि, झुके भगवान है।

महिमा है अपार, सत की राह वो दिखलाएँगे

तुझे गले से लगाएँगे।।

थोड़ा ध्यान लगा...

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देख लिया संसार हमने देख लिया

 देख लिया संसार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया  


 तन निरोग धन जेब में जबतक 

 मन से सेवा केरेंगे तबतक

मानेगा परिवार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया   


जिस जिस पे विश्वास किया

उसने हमें निराश किया 

बनके रिश्ते दार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

बनके रिश्ते दार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया


प्रतिभा का कोई मोल नहीं 

सफल सिद्ध अनमोल वहीं 

जिसका प्रबल प्रचार हमने देख लिया 

देख लिया संसार हमने देख लिया 

जिसका प्रबल प्रचार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया 


सरल संत का मूल न आँके

कुटिलों के दरवाजे झाँके 

हो जाए दीदार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 

हो जाए दीदार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 


सतगुरू का उपदेश यहीं हैं

महामंत्र भक्तों यहीं हैं 

हरि स्मरण हैं सार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 

हरि  स्मरण हैं सार हमने देख लिया

देख लिया संसार हमने देख लिया 


देख लिया संसार हमने देख लिया 

सब मतलब के यार हमने देख लिया  

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साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा

 साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ...

सुनसान और बड़ा भयंकर कोई न डाले डेरा

यहीं एक पावन योगी ने छोटी सी कुटी छवाई

भूमि हुई पुलकित और वह मोक्ष कुटीर कहाई

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 


अर्थ जनों को देख जगत के संत ने दृढ़ संकल्प किया 

आश्रम एक बनाकर उसने लक्ष्य अपना सिद्ध किया 

पुलकित हुई प्रकृति सारी और सूर्य ने शीश नवाया 

अद्भुत प्रवेश द्वार आश्रम का मोक्ष द्वार कहलाया 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ...


नदी किनारे नीरवता में निःसीम ध्यान ले आया 

बापूजी के शांत स्वभाव सा शांति कुटीर लहराया 

जुड़ा हुआ उससे हैं पावन व्यासभवन हैं मनभाया

आयोजन ध्यान शिविरों का बुध रवि होता आया

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 


किए स्पर्श मौन मंदिर का कल्पतरू सा अटल हैं 

बड़बदशाह नाम प्यार का मनोकामना सफल हैं 

प्रदक्षिणा कर भक्त माँगते जो भी मिलता फल हैं 

आशाराम का आत्मानंद ही इसमें देता तरंग हैं  

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ...


आश्रम से कुछ ही दूरी पर महिला आश्रम बना हुआ 

नाम रखा अनुसुया आश्रम साबर जल भी पावन हुआ 

महासती श्री माँ लक्ष्मी ने आश्रम का उद्धार किया 

नारी की सोई शक्ति को तपोनिष्ठ ने जाग्रत किया 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 


लौकिक सुख को छोड़ वे धाई पूज्यश्री पदचिन्हों पर 

उनके आदर्शों को पाला गहन साधना अपना कर 

चंदन कर डाला जीवन को घिसकर सेवा के पथ पर 

हुई सुगंधित सारी दुनिया वो भी चली ईश पथ पर 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 


त्रस्त हुई जीवन से घर से उलझे मन की महिलाएँ 

माँ के श्री चरणों में आने पर वो भी चंदन बन जाए 

शांति प्राप्त कर, ध्यान प्राप्त कर, प्रेम प्राप्त कर माता का 

जीवन उनका बन जाता हैं महकी फूली बगिया सा 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

सुनसान और बड़ा भयंकर कोई न डाले डेरा 

साबरमती के बीहड़ में हैं बसा गाँव मोटेरा 

बसा गाँव मोटेरा ... 

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एक रात दुःखी मैं होके

 एक रात दुःखी मैं होके ,सो गया था रोते रोते

सपने में गुरूवर आके बोले कि मैं हूँ ना

क्यों चिंता करता हैं मेंरे होते क्यों डरता हैं 


जब जब गुरूवर को देखा धीरज मैंने खोया 

लिपट गया चरणों से और फूट फूट के रोया 

मुस्कुराके हौले हौले गुरूवर भक्तों से बोले 

कि मैं हूँ ना क्यों चिंता करता हैं     

मेरे होते क्यों डरता हैं 


छोड़ के मोहमाया को जो मेरी शरण में आया

गुरूवर के उपकारों को जीवन भर भूल न पाया 

मानव मंदिर हैं बनाया भक्तों के दुखड़े मिटाया 

कि मैं हूँ ना क्यों चिंता करता हैं मेंरे होते क्यों डरता हैं 

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

 जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

ज्ञानी गगन का सतगुरु सितारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 


मेरे गुरू मेरे गुरू प्यारे गुरू प्यारे गुरू


गुरू बिन प्रभु से मिलना हैं मुश्किल

गुरू के सहारे मिल जाती मंजिल

अँधियारी राहों में गुरू उजियारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 


मेरे गुरू मेरे गुरू प्यारे गुरू प्यारे गुरू


भला क्या बुरा क्या गुरू ही सिखाते

भरम सारे मन के गुरू ही मिटाते

गुरू ज्ञान गंगा अमृत की धारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा  

 

मेरे  गुरू मेरे गुरू प्यारे गुरू प्यारे गुरू

  

धरम ध्यान शांति गुरू से ही मिलते

सतगुरू के दर्शन जीवन बदलते

दुःख और दुविधा से गुरू ने उबारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा    


ज्ञानी गगन का सतगुरु सितारा 

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

जहाँ में नहीं हैं गुरू बिन गुजारा

गुरू सच्चा साथी हमारा तुम्हारा 

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तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ

 तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

मुझे नहीं चाहिए अब कुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा


गैरों की बात करें क्या हमें अपनों ने ठुकराया

बन गया नाथ तू मेरा तूने पल पल साथ निभाया

तेरा साथ ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा


मैय्या बनकर के तूने मुझे गोद में ले दुलराया

बन गया पिता तू मेरा तूने चलना मुझे सिखाया 

तेरा  प्यार ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा 

मुझे नहीं चाहिए अब कुछ ओ मेरे सतगुरू देवा


मैं किसीसे क्या कुछ माँगू बिन माँगे ही सब पाऊँ 

जब द्वार मिला मुझे तेरा मैं किसीके दर क्यों जाऊँ 

तेरा द्वार ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

तेरी कृपा ही मेरा सबकुछ ओ मेरे सतगुरू देवा

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चलो चलो नाम गाओ रे

चलो चलो नाम गाओ रे हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे

हरि नाम में शक्ति अपार हरि ॐ हरि ॐ ...

चलो चलो नाम गाओ रे


शंख बजे करताल बजे ,मंजीरा झन-झन बाजे

हर मन में प्रेम समाए रे, भक्ति की धार बहाए रे

धूल उडती चरणों की रे, इकरार है प्रेम की रे

हर मन में हरि बसा हैं रे, हर मुख नाम सुहाए रे

भक्ति रंग में भीग गए, भूल गए सब झगड़े

नाचे गाएं झूम झूम के, हरि नाम में रम गए

अंतर पाजण संग चले, भक्तों के मन रंगण चले

हर दिल में उजियारा है हरि ॐ हरि ॐ प्यारा हैं हरि ॐ हरि ॐ


अंधकार को जलाओ रे, मन का दीप जलाओ रे

हरि के चरण बुलाओ रे, हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे

सत्संग की डगर प्यारी, भक्ति में सुख भारी

गुरू चरणों की छाया में, मिले अमर कहानी

नाचो गाओ प्रेम के संग हरि नाम ही मधुर रंग

भक्ति रस में झूमो रे, हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे

हरिनाम का जाप अमर भक्तों का हैं यह आधार

जहाँ जहाँ नाम पुकारा वहाँ वहाँ प्रेम की धारा

चलो चलो नाम गाओ रे हरि ॐ हरि ॐ गाओ रे...

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जब आएँगे बापू प्यारे

 जब आएँगे बापू प्यारे 

जब आएँगे राजदुलारे

खुशियाँ मनाएँगे नाचेंगे गाएँगे


बापूजी के दर्शन होंगे 

सोए भाग फिर से जगेंगे

चेहरे पे छाएगी लाली 

रोज मनाएँगे होली दीवाली

जब आएँगे बापू प्यारे 

जब आएँगे राजदुलारे

जब आएँगे अँखियों के तारे

खुशियाँ मनाएँगे नाचेंगे गाएँगे


फिर से बापू की गाड़ी चलेगी

मुरझाई कलियाँ फिर से खिलेगी

हरि नाम का कीर्तन भी होगा

जोगी रे का भजन भी होगा  


महा जयजयकार महा जयजयकार

मेरे गुरू की जयजयकार

लिया अवतार लिया अवतार

मेरे गुरू ने लिया अवतार

महा जयजयकार महा जयजयकार

मेरे गुरू की जयजयकार


चाहे कितनी विपदा आए

साधक हैं नहीं घबराए

महिमा अपार , महिमा अपार

मेरे गुरू की महिमा अपार

महा जयजयकार महा जयजयकार

मेरे गुरू की जयजयकार

मेरे बापू की जयजयकार

मेरे साँई की जयजयकार

मैं वारी जाऊँ रे

 वारी जाऊँ रे , बलिहारी जाऊँ रे

म्हारे सतगुरु आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे

हो वारी जाऊँ रे , बलिहारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे


हो सतगुरु आँगण आया , हैं गंगा गोमती लाया रे

म्हारी निर्मल हो गयी काया, मैं वारी जाऊँ रे


सब सखी मिलकर हालो, केसर तिलक लगावो रे

घड़ी हेत सूं लेवो बधाई, मैं वारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे...


बापू दर्शन दीन्हा, भाग उदय कर दीन्हा रे

मेरा भरम करम सब छीना, मैं वारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ रे


सत्संग बन गयी भारी, मंगला गाऊँ चारी रे

म्हारी खुली  हृदय  की ताली, मैं वारी जाऊँ रे

हो  वारी जाऊँ रे , बलिहारी जाऊँ रे

म्हारे बापू आँगण आया, मैं वारी जाऊँ 

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गुरू बिना ज्ञान न होवे

 गुरू बिना ज्ञान न होवे

सद्गुरु महिमा भारी

भवसागर से पार लगावे

हमें जीवन की क्यारी

सद्गुरु महिमा भारी....


अंधकार था चारों ओर

जब भटक रहा था मन

राह दिखाई गुरूवर ने

मिटा दिया सब उलझन

चरणों में इनके स्वर्ग विराजे

मिलती हैं शांति सारी

भवसागर से पार लगावे...


तन को सौंपा, मन को सौंपा

कर दिया सबकुछ अर्पण

प्रेमसुधा बरसाई ऎसी

हो गया जीवन दर्पण

हर श्वास में नाम तुम्हारा गुरूजी

ये जीवन हैं बलिहारी

भवसागर से पार लगावे....


मोहमाया के बंधन काँटे

तोडी झूठी आस

सत्य का दर्शन करवाया

गुरू ने किया विश्वास

कहे सेवक ये बार बार

रखना कृपा तुम्हारी

भवसागर से पार लगावे...

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सदगुरू मेरे जीवन में आए

 सद्गुरु मेरे जीवन में आए

अंधकार मिटा ज्योति जलाए

मिट गया मोह मिटा अज्ञान

नाम भजन में मन लहराए

सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


जब जब डूबा मायासगर में

गुरू ने हाथ बढ़ाया रे

भूल भटक के राहों में

दीपक प्रेम जलाया रे

अब तो हर साँस में नाम तेरा

हर पल तेरा साया रे

सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


मिटे कर्म के काले बादल

सच्चे प्रेम की वर्षा छाई

मन का मृग अब शांत हुआ हैं

आत्मा ने शांति पाई

नाम जपूँ तो नयन भर आए

आँखो में प्रेम समाए

 सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


ना मंदिर में ना मूरत में

गुरू ही सच्चे नारायण हैं

उनकी वाणी उनका चेहरा

सबमें दिखते भगवान हैं

 जो बोले राम वही बोले गुरू

दोनों एक समान हैं

सद्गुरु मेरे जीवन में आए...


अब तो यहीं अरमान हैं मेरा

गुरू चरणों में रह जाऊँ

तेरे नाम की धुन गाता गाता

जीवन तेरा बन जाऊँ

साँस साँस में बसी तेरी वाणी

अब तो तुझमें समा जाऊँ

 सद्गुरु मेरे जीवन में आए...

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