सतगुरु तुम्हारी यादें पल पल रुला रहीं हैं
कब आओगे ये अँखियाँ आँसू बहा रहीं हैंचिट्ठी न कुछ संदेशा पैगाम कुछ न तेरा
वीरान हो गए हम तड़प रहा मोटेरा
मंजिल नही कोई अब हमें नज़र आ रही है
कब आओगे ये अँखियाँ आँसू बहा रहीं हैं
खो गयी हँसी हमारी छिन गए सभी उजाले
किसको दिखाए सतगुरू अपने ये दिल के छाले
कुछ तो जुदाई तेरी कुछ दुनिया सता रही है
कब आओगे ये अखियाँ आँसू बहा रही है
बेजान हो गयी है अब ज़िंदगी हमारी
बेचैन रोज करती यादें हमें तुम्हारी
आ जाओ अब तो सतगुरु साधक बुला रहे हैं
कब आओगे ये अँखियाँ आँसू बहा रहीं हैं