Sant Shri Asharamji Bapu

Sant Shri Asharamji Bapu is a Self-Realized Saint from India, who preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being.

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संत श्री आशारामजी बापू

भारत के संत श्री आशारामजी बापू आत्मज्ञानी संत हैं, जो मानवमात्र मे एक सच्चिदानंद इश्वर के अस्तित्व का उपदेश देते है

पार लगावो भव से

पार लगावो भव से हरि मोहे
हरि मोहे पार लगावो
पार लगावो भव से
हो साँई मोहे पार लगावो भव से
हरि मोहे पार लगावो भव से ।।धृ।।

चंचल चित मोरा उड़त फिरत है
बाँधन चाहूँ नाहि बँधत है
हो साँई...हो साँई...
मोरा जियरा छुड़ावो भव से
पार लगावो....

भाँति भाँति की रस्सी बनाकर
बाँधा इन्द्रियों ने भरमाकर
हो साँई... हो साँई...
मेरा बंधन काँटो भव से
पार लगावो...

तुम सच्चे गुरु समरथ स्वामी
मैँ मूरख कामी अज्ञानी
हो साँई....हो साँई....
मोहे डूबता उबारो भव से
पार लगावो....

पार लगावो भव से
हो साँई मोहे पार लगावो भव से...

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औषधि कौन पिलावे

औषधि कौन पिलावे
औषधि कौन पिलावे
गुरु बिन औषधि कौन पिलावे ।।धृ।।

भव व्याधि यह बहुत सतावे
सुध बुध सारी भुलावे
गुरु बिन औषधि....

विषय विषम ज्वर अति घबरावे
तृष्णा प्यास बढ़ावे
गुरु बिन औषधि....

ऐसो कौन कृपालु जग में
आवागमन मिटावे
गुरु बिन औषधि....

आप भुला जग सब भुलावे
ऐसो काम न आवे
गुरु बिन औषधि....

होवे का मिल नबज दिखाऊँ
अमृत रंग पिलावे
गुरु बिन औषधि....

औषधि कौन पिलावे
गुरु बिन औषधि कौन पिलावे

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सत्संग की गंगा बहती है

सत्संग की गंगा बहती है
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में  ।।धृ।।
फल मिलता है उस तीरथ का
कल्याण तुम्हारे चरणों में
सत्संग की गंगा....

मैं जनम जनम का भटका हुँ
तब शरण आपकी आया हुँ
इन भूले भटके जीवों का
कल्याण तुम्हारे चरणों में
सत्संग की गंगा....

दुनिया का दुःख मिटाते हो
देव दिव्य परखाते हो
सब आवागमन मिटाते हो
है मोक्ष तुम्हारे चरणों में
सत्संग की गंगा ....

एक बार जो दर्शन पाता है
बस आपका ही हो जाता है
क्या गुप्त तुम्हारी प्रीती है
हम धन्य तुम्हारे चरणों में
सत्संग की गंगा....

जनम का भूला शरण पड़ा
तब आयके द्वार तुम्हारे खड़ा
काँटों सकल बन्धन मेरा
निर्मल तुम्हारे चरणों में
सत्संग की गंगा....

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