प्रेम जब गुरु से हो गया


प्रेम जब गुरु से हो गया
समझ रब से तार जुड़ गया

राग द्वेष व्यापे नहीं, काम क्रोध तापे नहीं
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ रब को तू भा गया ।। 

सेवा को तत्पर रहे, परहित की नीति कहे
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ द्वन्द मोह छूट गया

गुरु ज्ञान भाने लगे, भक्ति रस छाने लगे
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ मन शुद्ध हो गया

दुःख में तू रोये नहीं, सुख में तू सोये नहीं
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ रब को तू भा गया

आँखों से आंसू बहे, वाणी भी कुछ ना कहे
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ घट में फूल खिल गया

संसार फीका लगे हरि नाम प्यारा लगे
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ भक्ति रंग चढ़ गया

गुरुवर ही प्रभु लगे मन में गुरु भक्ति जगे
ऐसा तुझको जब से हो गया, समझ तेरा काम बन गया


No comments:

Post a Comment