मन कर पूजा गुरु चरनन की


मन कर पूजा, कर पूजा -
गुरु चरनन की, गुरु वचनन की
हरि , हरि , हरि , हरि

गुरु चरनन में ऐसा क्या है, वैकुण्ठ द्वार यहीं खुलता है
ये ब्रज भूमि वृन्दावन की, मन कर पूजा ..........
हरि , हरि , हरि , हरि

गुरु ही ब्रह्म बना सकते हैं, घट में फूल खिला सकते हैं
परमेश्वर नारायणजी की, मन कर पूजा ..............
हरि , हरि , हरि , हरि

गुरु बिन भवनिधि तरहीं ना कोई, चाहे ब्रह्मा शंकर होई
ये वाणी शिव शंकरजी की, मन कर पूजा .............
हरि , हरि , हरि , हरि

कैसे पूजें गुरु चरनन को, अपना लो बस गुरु वचनन को
ये वाणी गुरु गोविन्दजी की, मन कर पूजा ..............
हरि , हरि , हरि , हरि
मेरे राम, मेरे राम, गुरुदेव, गुरुदेव


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