एक हरि तू ही


हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  
पार करे सबकी नैया मन से भजे जो ही
हरि , हरि , हरि

तेरे चरणन जीवन अर्पण हो जाएँ  
हम तेरे अर्पण, हे सुखकारी महेश्वर
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  

पूजा तेरी क्या जानू मैं
कैसे रिझाऊँ  मैं ना जानू मैं
दास समझ लो अपना
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  

ये जग बंधन बांधता मुझको
तू ही बचा ले थाम ले मुझको
हे दुखहारी ईश्वर
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  

तेरी कृपा से मिल गए गुरुवर
ब्रह्मा विष्णु है वो महेश्वर, ज्ञान के हैं गंगेश्वर
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  

गुरु रीझें तो जीवन महके
अन्‍तर्मन में फूल हैं खिलते
हो जाए प्रभु के दर्शन
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  

आतम हीरा गुरु बतलाते
अन्तः चक्षु दिव्य बनाते
समतामय हो जीवन
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  

सुखदुख में सम रहना भाई
दृष्टा बन के जीना भाई
गुरुवर ये समझाते
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही  

तन मरता है तू नहीं मरता
तेरा प्रभु से सच्चा नाता
झूठा जग का सपना
हरि हरि हरि हरि एक हरि तू ही

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