मत कर तू अभिमान


मत कर तू अभिमान जगत में,कुछ दिन के मेहमान
भज लो श्री भगवान जगत में,कुछ दिन के मेहमान
हरि , हरि
रहे ना रावण सम अभिमानी, हिरण्‍यकश्‍यपसम वरदानी
क्षण में छूटे प्राण जगत में,कुछ दिन के मेहमान
आये अर्जुन सम धनुर्धारी, धर्मराज सम धर्माचारी
दानी कर्ण समान जगत में,कुछ दिन के मेहमान
कहाँ विक्रमादित्य यहाँ हैं,कालिदास और भोज कहाँ हैं
वह कारू लुकमान जगत में,कुछ दिन के मेहमान
सुनी सिकंदर दारा की कृति, सुनी बीरबल की सुंदर मति
अकबर से सुल्‍तान जगत में,कुछ दिन के मेहमान
दुखी जनों का दुःख ना रहेगा, सुखी जनों का सुख ना रहेगा
सच है आतम ज्ञान जगत में,कुछ दिन के मेहमान
जगदीश्वर का नाम रहेगा, वही परम सुख धाम रहेगा
निज में लो पहचान जगत में,कुछ दिन के मेहमान


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