पाया मनुज तन जग में


पाया मनुज तन जग में तू आया
ले ले हरि का नाम, बोलो राम श्री राम

हरि को भज ले रात और दिन
हरि भक्ति में आये शुभ दिन
क्यूँ करता अभिमान, बोलो राम श्री राम

ये जग सारा माया पसारा  
क्यों फिरता तू मारा मारा
सदगुरु करते काम, बोलो राम श्री राम

गुरु के मुख की अमृत वाणी
भीतर करती सहज समाधि
गुरु पायें बुद्धिमान, बोलो राम श्री राम

प्रीति हर पल अनंत की करना
नश्वर जग के पीछे ना मरना
भोग प्रभु से जान, बोलो राम श्री राम

पांच विकारों का है ज़हर ये काला
धीरे-धीरे सबको मारा
अंतर गुरु को पुकार

आतम पद की ज्ञान की वर्षा
सदगुरु करते दौड़े आना
गुरु चरनन में वास, बोलो राम श्री राम



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