गुरुज्ञान की बजेगी शहनाई रे

 गुरुज्ञान की बजेगी शहनाई रे

मेरा मौन न जाने कोई


विश्वगुरू हो भारत प्यारा

ऐसा हैं संकल्प हमारा 

समय ने ली अंगड़ाई रे

मेरा मौन न जाने कोई...


सूक्ष्म जगत में मच गई हलचल

निकट आ रही शुभ घड़ी हर पल

परिवर्तन बेला आई रे

मेरा मौन न जाने कोई...


प्रीत करे जो मुझसे प्यारे

सत्संग उनको सहज ही तारे

निगुरे देखत रह जाए रे

मेरा मौन न जाने कोई...


बाहर से खामोश रहे हम

भीतर भीतर देख

मेरा मौन न जाने कोई...


जग में शांति फिर आएगी

फिरसे खुशहाली छाएगी

गुरुज्ञान की बजेगी शहनाई रे

मेरा मौन न जाने कोई...


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