अब दे दो गीता ज्ञान

 अब दे दो गीता ज्ञान 

मिटे अज्ञान गुरूजी हमारे 

हम आए शरण तुम्हारे


बालकपन खेलन में खोया 

यौवन निद्रा में तू सोया

भय वृद्ध तो हो गए 

जर जट गात हमारे

हम आए शरण तुम्हारे

अब दे दो...


सुत मात पिता बांधव दारा

नश्वर सम्बंध हैं ये सारे

जाएँगे संग शुभाशुभ कर्म हमारे

हम आए शरण तुम्हारे

अब दे दो...


फँसकर मैं जग की माया में

दुःख पाता था इस काया में

निज ज्योति से ज्योति

जगाओ गुरूजी हमारे 

हम आए शरण तुम्हारे

अब दे दो...


सेवक पर स्वामी दया करो

भव भय संकट सब आप हरो

कर्मों के दोष न देखो आप हमारे

हम आए शरण तुम्हारे

अब दे दो...


गुरू चरणों में यह अर्जी हैं

आगे प्रभु आपकी मर्जी हैं

गुरूकृपा मिले तो जागे भाग्य हमारे

हम आए शरण तुम्हारे

अब दे दो...


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2 comments:

Unknown said...

हरि ॐ हरि

Shubham Kumar Atre said...

यह किस फिल्मी गीत की तर्ज पर है

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