आरती उतारूँ मैं तो स्वामी आसाराम की

 आरती उतारूँ मैं तो स्वामी आसाराम की

आशा पूरी करनेवाले स्वामी आसाराम की

आरती उतारूँ मैं तो स्वामी आसाराम की


मनभावन मुखड़ा हैं मधुर मधुर वाणी

सुनके वाणी होता हैं मंत्रमुग्ध प्राणी

जिसने सदा राह दिखाई हैं भक्तिधाम की

आरती उतारूँ मैं तो स्वामी आसाराम की


नैनों से करुणा के झरने हैं झरते

जिसके पास आने से पाप सभी डरते

ज्ञान की बातें बताता जो हैं बड़े काम की

आरती उतारूँ मैं तो स्वामी आसाराम की


जिसकी दया से हैं कष्ट दूर होते

संकटों के पर्बत हैं चूर चूर होते

हर दिशा में फैली हैं महिमा जिसके नाम की

आरती उतारूँ मैं तो स्वामी आसाराम की

आशा पूरी करनेवाले स्वामी आसाराम की

आरती उतारूँ मैं तो स्वामी आसाराम की

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गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

 गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

बापूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

चरण में पड़े हैं उद्धार कीजिए


नैनों के दीपक में संजोए भक्ति भाव की बाती

आँसुओं का तेल भरा उम्मीद की लौ जलाती

ये ज्योत हृदय की उजियार कीजिए

बापूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए


तरस रही अखियाँ व्यथित हुआ मन

लगी हुई हैं दिल को दरश की लगन

अब देके शीघ्र दर्शन कृतार्थ कीजिए

जोगीजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए


जग में भटक रहे हैं दर-दर ठोकर तुम बिन खाते

याद हैं आती हमको गुरूवर की प्यारी बातें

मिले गुरू दीदार ये उपकार कीजिए

स्वामीजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए


जीवन की ये काली रातें तुम बिन ऐसी बीते

चाँद दरश बिना चातक जैसे रहे रीत के रीते

दे के दरश हमको उबार लीजिए

साँई जी मेरी आरती स्वीकार कीजिए


जैसे भी हैं तेरे ही हैं सारा जग ये जाने

सारे जग को छोड़के बापू तुमको अपना माने

व्यथा मेरी प्रभुजी अब देख लीजिए

प्रभुजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए


प्रभु की बाते होती जब हम संग जोगी के होते 

बिन तेरे हे बापू हम सब हर पल हैं कुछ खोते

आके हमको खुशियाँ बेशुमार दीजिये

बापूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

जोगीजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

साँई जी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

बापूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

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