न जाने कौनसे गुण पर

न जाने कौनसे गुण पर दयानिधी रीझ जाते है।।धृ।।

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर भोग छिलकों का लगाते हैं॥
न जाने कौनसे गुण पर ..

न आये मधुपुरी से गोपियों की दु:ख व्यथा सुनकर।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारिका से दौड़े आते हैं ॥
न जाने कौनसे गुण पर ...

न रोये वन गमन में श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में आँसू बहाते हैं ॥
न जाने कौनसे गुण पर ...

कठिनता से चरण धोकर मिले कुछ बिन्दु विधिहर को ।
वो चरणोदक स्वयं केवट के घर जाकर लुटाते हैं ॥
न जाने कौनसे गुण पर ...

Audio

No comments:

Post a Comment