ओ सबकी अँखियों में नीर भरे

ओ सबकी अँखियों में नीर भरे
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी
सबकी अँखियों में नीर भरे
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी
ओ मैं तो तेरे ही द्वार पड़ी
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी
सबकी अँखियों में नीर भरे...

तुमसा जोगी ना कोई पाया
तुमही से मैंने नेह लगाया
ओ मेरी प्रीत है तुमसे लगी
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी ...

सुन लो मेरे जोगी सलोना
तुम बिन रह गया बस हमें रोना
ओ मेरी अँखियों की प्यास बढ़ी
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी...

कृपा करो हम दास पे स्वामी
घट घट वासी अंतर्यामी
हो अब टूटे न श्रध्दा लड़ी
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी...

दर्शन से तेरे सुख हमें मिलता
सत्संग से आपके जीवन है खिलता
ओ बोलो आएगी कब वो घड़ी
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी...

आत्मज्ञान की बातें तुम्हारी
पुलकित होते है नर और नारी
ओ तेरी शान है सर्वोपरी
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी...

तुमसा जोगी ना कोई प्यारा
तुम ही हो जीने का एक सहारा
हो अब तो तुमको ही माना हरि
गुरुजी मैं तो कबसे खड़ी...

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