स्नेह प्यार की तुमसे गुरुवर

स्नेह प्यार की तुमसे गुरुवर बाँधी है जीवन डोर
दिल मेरा लगा ही रहता हर पल तेरी ओर।।धृ।।

नैनों के दर्पण में गुरुवर तुमको सदा ही देखूँ
क्या से क्या बनाते हो हर पल यहीं मैं सोचूँ
मन आँगन में अब तो बाबा नाचे है खुशियों के मोर
स्नेह प्यार की तुमसे गुरुवर...

तुमने ही चमकाया गुरूवर तकदीर का ये सितारा
नाज करूँ मैं भाग्य पे अपने पाकर तेरा ही सहारा
तेरी निगाहों में हमने देखी स्वर्णिम युग की भोर
स्नेह प्यार की तुमसे गुरुवर...

तेरी एक नजर में हम तो जन्मों के सुख पाएँ
तेरी ही महिमा के गुरूवर गीत सदा हम गाएँ
पाके अनोखा प्यार तेरा हम हो गए भाव विभोर
स्नेह प्यार की तुमसे गुरुवर...






न जाने कौनसे गुण पर

न जाने कौनसे गुण पर दयानिधी रीझ जाते है।।धृ।।

नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप सुयोधन का ।
विदुर के घर पहुँचकर भोग छिलकों का लगाते हैं॥
न जाने कौनसे गुण पर ..

न आये मधुपुरी से गोपियों की दु:ख व्यथा सुनकर।
द्रुपदजा की दशा पर, द्वारिका से दौड़े आते हैं ॥
न जाने कौनसे गुण पर ...

न रोये वन गमन में श्री पिता की वेदनाओं पर ।
उठा कर गीध को निज गोद में आँसू बहाते हैं ॥
न जाने कौनसे गुण पर ...

कठिनता से चरण धोकर मिले कुछ बिन्दु विधिहर को ।
वो चरणोदक स्वयं केवट के घर जाकर लुटाते हैं ॥
न जाने कौनसे गुण पर ...

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