दिल में प्रेम की ज्योत जलाई

दिल में प्रेम की ज्योत जलाई
दिल में प्रेम की ज्योत जलाई
गुरु से ऐसी प्रीत लगाई
मेरी प्रीत कभी ना टूटे
ऐसा वर दे दो

शबरी के घर आए थे
जूठे बेर जो खाए थे
भक्ति का वरदान दिया
उसका भी कल्याण किया
तेरा दर है सबसे प्यारा
तेरा दर है सबसे प्यारा
कर दो रेहमत साँई 
दिल में.....

मीरा को भी तार दिया
विषधर को भी हार किया
तुम सबके रखवारे हो
जग में सबसे प्यारे हो
तुम हो कृपा के सिंधु गुरुवर
तुम हो कृपा के सिंधु गुरुवर
कर दो रेहमत साँई
दिल में.....

साथ तेरा ये छूटे ना
मेरी श्रद्धा टूटे ना
गुरुवर का दीदार किया
मुझको भव से पार किया
खेल अजब है तेरा साँई
खेल अजब है तेरा साँई 
मोहे समझ ना आई
दिल में......

गुरुवर ही संसार है
गुरु ब्रम्ह का सार है
गुरुवर तारणहारे है
गुरु ही भव से तारे है
धन्य हुआ मैं इस जीवन में
धन्य हुआ मैं इस जीवन में
कर दो रेहमत साँई

                                                                                   

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