जोगी रे


चारों ओर प्रसन्नता फैले और उजियारा छाये
सत्संग सुन के इस जोगी का सब के दिल खिल जाए
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में …..
जग में बिखरे सब जीवों को  ईश की ओर  है खींचे
मुरझाए सूखे जीवन को जोगी प्रेम से सिंचे
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे जोग में…..
जल का मंथन कितना करो, नवनीत ना उस से निकलता
जग में सार कुछ  भी नही बस सार जोगी की निकटता
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
पावन वाणी जोगी की भक्तों का मान हर्षायें
मुस्काये जब जोगी मेरा महेके सारी दिशायें
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
बाटें है रहेमत के खजाने भर भर के भक्तों को
जोगी के रूप में हम ने पाया धरा पे ही है रब को
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे ज्ञान  में…..
जोगी पे श्रध्दा तारण हारी, भक्ति है दुख हारी
ग्यान जोगी का भव भय भंजन , प्रेम बड़ा हीतकारी
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
सब कुछ  देते जोगी फिर भी हम से कुछ नही चाहे
जिन पे चलना था बड़ा मुश्किल महेका दी वो राहें
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
हम सब के दाता है जोगी देना ही देना जाने
अभेद दृष्टि इन की पावन सब को अपना माने
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
भगवत गीता और वेदों में श्रध्दा की महिमा भारी
जोगी पर श्रध्दा ने है भक्तों की बिगड़ी सवारी
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे ज्ञान में…..


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