जो शरण गुरु की आया- 2


जो शरण गुरु की आया,इहलोक सुखी परलोक सुखी
जिसने ‘गुरु ज्ञान’पचाया, इहलोक सुखी परलोक सुखी

परम माता-पितागुरुवर हैं
हम सब के दातागुरुवर हैं
जिसे मिले गुरुप्रेम की छाया,
इहलोक .........

त्यागी और वैरागी बनजी,
’गुरुचरण’ अनुरागीबन जी
नश्वर है ये काया,
इहलोक .........

गुरुदर्शन से कटतेबन्धन
शीतल करते जैसेचन्दन
जिसने प्रीति कोबढ़ाया,
इहलोक .......

गुरु शरण ही हैसुखकारी,
गुरु सम है न कोईहितकारी
जिसने गुरुवर कोध्याया,
इहलोक ......

जीवन सुखमय कर देतेहैं
मन में शांति भरदेते हैं
जिसने इनको अपनाया,
इहलोक ......

मैं मेरे का भ्रममिटाते
चौरासी के चक्रहटाते
सर पे जिसकेगुरुसाया,
इहलोक ......

मुक्ति का आधार गुरुहैं,
करते भव से पार गुरुहैं
गुरुचरणों में मन कोलगाया,
इहलोक ......

शोक मोह को दूरभगाते,
सबको शाश्वत रंगलगाते
जिसने गुरुवर कोपाया, इहलोक ......

कितनों का उद्धार हैकरते
बिन मांगे ही झोलीभरते
मन में गर इन्हेंबिठाया,
इहलोक ......


मन के विषय विकारमिटाते
घट में आनंद ज्योतजगाते
गुरुज्ञान है जिसकोभाया,
इहलोक ......


गुरुवर तुम हो अंतर्यामी


गुरुवर तुम हो अंतर्यामी
 तुम ही तो हो तीनों लोकों के स्वामी

तुम्‍हरी महिमा किसी ने ना जानी
वहाँ नहीं पहुँचे किसी की भी वाणी

हर ओर है प्रभु तेरी ही खुदाई
तुम ही तो हो भवरोग की दवाई
तेरी याद से आँख भर आई
सह न सके हम तेरी जुदाई

तुमने जो पकड़ा है हाथ ये मेरा
ये तो प्रभु उपकार तेरा
मेरे जीवन में था घोर अंधेरा
तेरे आने से ही हुआ है सवेरा

मन भावन गुरु छवि है तुम्हारी
सुखकर हितकर वाणी तुम्हारी
तुम ने रखी सदा लाज हमारी
क्षण में हरण की मुश्किलें सारी

तुमने ही सबके काज सँवारे
धन्य हुए हम जो आए तेरे द्वारे
झूठे हैं दुनिया के रिश्ते सारे
जान गए हम तुम ही हमारे

वैकुण्ठ को छोड़ जग में तुम आए
वेद और शास्त्र सब तेरी महिमा गाए
हर क्षण प्रभु हम तुमको ही ध्यायें
हर जनम में प्रभु तुमको ही पायें

गर फिसलूं मैं तो तुम ही बचाना
जहाँ देखूँ वही तुम नजर आना
मेरा तो लक्ष्‍य है तुमको पाना
अपना सभी कुछ तुम्ही को है माना

तुमही मेरे राम हो तुमही मेरे श्याम हो
भव जल पार करते वही तुम नाम हो
ईश्वर का रूप हो तुम मस्ती का जाम हो
हम सबके जीवन में शांति का पैगाम हो
तुमही मेरे राम हो तुमही मेरे श्याम हो ।

तुम्ही से मेरी हर खुशी, तुम ही तो मेरी दुनियाँ हो
तुमही जीने का मकसद, तुम ही मेरी तमन्ना हो
तुम्हारे चरणों में गुरुवर, तीर्थ आके झुकता है
तेरे दर पर ही ओ गुरुवर, भटका मन ये रुकता है

तेरे रहमो करम से ही इस जग में उजाला है।
भव से पार करता है तेरा ये प्यार निराला है
पापी से भी पापी को है गुरुवर पावन कर देते
बिन माँगे ही सबकी है गुरुवर झोली भर देते

जोगी रे


चारों ओर प्रसन्नता फैले और उजियारा छाये
सत्संग सुन के इस जोगी का सब के दिल खिल जाए
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में …..
जग में बिखरे सब जीवों को  ईश की ओर  है खींचे
मुरझाए सूखे जीवन को जोगी प्रेम से सिंचे
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे जोग में…..
जल का मंथन कितना करो, नवनीत ना उस से निकलता
जग में सार कुछ  भी नही बस सार जोगी की निकटता
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
पावन वाणी जोगी की भक्तों का मान हर्षायें
मुस्काये जब जोगी मेरा महेके सारी दिशायें
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
बाटें है रहेमत के खजाने भर भर के भक्तों को
जोगी के रूप में हम ने पाया धरा पे ही है रब को
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे ज्ञान  में…..
जोगी पे श्रध्दा तारण हारी, भक्ति है दुख हारी
ग्यान जोगी का भव भय भंजन , प्रेम बड़ा हीतकारी
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
सब कुछ  देते जोगी फिर भी हम से कुछ नही चाहे
जिन पे चलना था बड़ा मुश्किल महेका दी वो राहें
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
हम सब के दाता है जोगी देना ही देना जाने
अभेद दृष्टि इन की पावन सब को अपना माने
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे प्यार में…..
भगवत गीता और वेदों में श्रध्दा की महिमा भारी
जोगी पर श्रध्दा ने है भक्तों की बिगड़ी सवारी
जोगी रे क्या जादू है तुम्हारे ज्ञान में…..