हे अखिलेश्वर हे त्रिपुरारि


हे अखिलेश्वर हे त्रिपुरारि
हे ज्ञानेश्वर मंगलकारी

सुन्दर पावन तुम्हारी छवि है
  आकाश में जैसे चमके रवि है
  तुम ही हो साँसे धड़कन हमारी , हे अखिलेश्वर .......

जिसको है मिलता प्यार तुम्हारा
   चमके है उसका भाग्य सितारा
   तुम ही हो भोले शिव भंडारीहे अखिलेश्वर .......

मतलब की है सबकी यारी
   झूठी है सारी दुनियादारी
   तुम ही हो गुरुवर भवभयहारीहे अखिलेश्वर....

धन्य हुए है तुमको पाकर
    उपकार किया धरा पे आकर
    तुमसे है शोभित सृष्‍टि सारीहे अखिलेश्वर ...

जिसको मिलता तेरा सत्संग
    उसको चढ़ता भक्ति का रंग
    तुमने तारे नर और नारी है , हे अखिलेश्वर ...

सब भक्तन का शुभ हो करते
   बिन  मांगे ही झोली  भरते
   पतित पावन तुम हो सुखकारी,   हे अखिलेश्वर ...

सबको ही सही राह दिखाते  
    जीने की तुम कला सीखाते
    कोई नहीं तुमसा हितकारी,    हे अखिलेश्वर ...

तुमने रचा संसार ये सारा
   हर पल किया है हित ही हमारा
   तेरी सूरत सबसे है प्यारी,   हे अखिलेश्वर ...

दुखियो का तुमने दुःख है निवारा
  बिगड़ी को सबकी तुमने सवारा
  तुम ही हो केशव कृष्ण मुरारी, हे अखिलेश्वर ...

दयामय तुम दीनदयाला
    तेरा है सबसे प्रेम निराला
    कैसे मैं लीला गाऊं तुम्हारी
    हे अखिलेश्वर हे त्रिपुरारी

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