मेरा मौन ना जाने कोय


प्रीत करें जो मुझसे प्यारे, सत्संग उनको सहज ही तारे
जग में रहते जग से न्यारे, अपने कुल को भी वो तारें
निगुरेदेखत रह जाएँ रे, मेरा मौन ना जाने कोय
बाहर से खामोश रहें हम, भीतर-भीतर देख
मेरा मौन ना जाने कोय...............बड़ा ही गूड रहस्य है इसमें, करना है परिवर्तन जग में
इसीलिएमौज आई रे, मेरा मौन ना जाने कोय
जग में शांति फिर आयेगी, फिर से खुशहाली छाएगी
गुरुज्ञान की बजेगी शहनाई रे, मेरा मौन ना जाने कोय
स्नेहनिगाहसे जो लेना जाने, सो ही परम रस को पहचाने
सब में पूरण ब्रह्म ही जाने, सोई मुझे पूरा जाने रे, मेरा मौन ना जाने कोय ....विश्वगुरु हो भारत प्यारा, ऐसा है संकल्प हमारा
समय ने ली अंगडाई रे, मेरा मौन ना जाने कोय



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