मुझे तीर्थ और मंदिर से क्या


मुझे तीर्थ और मंदिर से क्या मुझे तेरा द्वारा काफी है
जीवन महकाने के लिए बस नाम आधारा काफी है

पाया है जो इस दुनिया में वो तो सब एक दिन छूटेगा
जीवन भर साथ निभाने को बस तू इक प्यारा काफी है

इस जन्म मरण के बंधन से हमको गुरुवर ही छुडाते है
भवपार कराने के लिए ये तारणहारा काफी है

झूठे जग के झूठे नाते है काम किसी के ना आते
मुझे नश्वर इन रिश्तो से क्या, बस साथ तुम्हारा काफी है

क्यूं ध्याये अब किसी ओर को हम ,
गुरुवर की कृपा से मिटते गम
गुरुवर की प्रसन्नता पाने को,
बस भाव हमारा काफी है

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