सतगुरुजी रे मेरे सतगुरुजी


सतगुरुजी रे मेरे सतगुरुजी
तुम तो प्यारे लगते हो मेरे सतगुरु जी
आपकी शरण ली तो सत प्रीति जागी
सत प्रीति जागी मेरी जग प्रीति भागी,
विनती करे है साधक ,शरण देना स्वामी.
तुम तो प्‍यारे लगते ........


बाई मीरा जैसी हमको गुरुभक्ति देना
शबरी जैसी हमको सेवानिष्ठा देना
चरणों में रखना गुरूवर दूर नहीं करना
तुम तो प्‍यारे लगते ........

सतगुरु की महिमा देखो ईश्वर ने गाई,
वेद शास्‍त्र गीता में भी गुरुभक्ति गाई,
ह्रदय कमल  में गुरु की मूरत समायी
तुम तो प्‍यारे लगते ........

सदगुरुजी रे मेरे सदगुरुजी
तुम सहारे सबके हो, मेरे - - -
तुमसे ही पाई मैंने, खुशियाँ घनेरी
बिन तेरे क्या थी दाता, औकात मेरी
कैसे मैं गाऊं गुरुवर, महिमा तुम्हारी
तारणहारे सबके हो, मेरे - - -
चलती है साँसे ये है, रहमत तुम्हारी
तुमही हो गुरुवर सच्ची, दौलत हमारी
तुम पे मैं वारुं अपनी, जिन्दगी ये सारी
तारणहारे सबके हो, मेरे - - -
निशदिन तुम्हारा मैं तो, दीदार पाऊँ
तुमको ही सिमरुँ और मैं, तुमको ही ध्याऊँ
जिव्हा से अपनी तेरे गुणगान गाऊँ
तारणहारे सबके हो, मेरे - - -

जो भी सच्चे मन से गुरुवर के दर आता
पाता है सारी मुरादे, खाली न जाता
गुरु जैसा ना है जग में, कोई भी दाता
तारणहारे जगके हो, मेरे - - -

मिथ्या है जग ये सारा, तुमही हो सहारा
डगमग़ है नैया डोले, तुम्ही हो किनारा
तुम बिन नही है बापू, कोई भी हमारा
तारणहारे सबके हो, मेरे - - -

तुमने ही गुरुवर सबकी भ्रांती मिटाई

ज्ञान की ज्योति सबके दिल में जगाई

तुमसे न हो अब गुरुवर कभी भी जुदाई

तारणहारे सबके हो, मेरे - - -


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