पछताओगे गुरु दर छोड़ के, गर तुम जाओगे


पछताओगे गुरु दर छोड़ के, गर तुम जाओगे
हर करनी ना समय के रहते, फल तुम पाओगे

गुरु की जिसने बात ना मानी, उसको होती भारी हानि
होता है वो किस्मत वाला, जिसने गुरु की महिमा जानी
गुरु से ऊँचा कोई ना होवे, पछताओगे ............

मोती खोके पाए कंकर, क्यूँ करता भूलें तू भयंकर
तू जन्मा है राजा होकर, रहता है तू क्यूँ रंक बनकर
क्यूँ खुद ही कांटे बोयेपछताओगे .............
गुरुदेव, गुरुदेव, गुरुदेव, गुरुदेव

साथ ना तेरा देंगे कोई चाहे ब्रह्मा शंकर होई
तांडव करेगी मृत्यु सिर पर रक्षक ना तेरे होंगे कोई
आखिर में तू क्यूँ रोवे, पछताओगे .............

मिटटी से कंचन हैं करते, दुःख संशय सबके हैं हरते
जायेगा तू पार कैसे, धन दौलत ना साथ है रहते
कंचन से क्यूँ मिटटी होवे, पछताओगे ..............

गुरु ज्ञान में मार ले गोता, क्यूँ ऐसा अवसर है खोता
कर ले मानव गुरु की भक्ति, गुरु बिना कोई पार ना होता
गुरु ही मन का मैल हैं धोएं, पछताओगे ..............

हमने हीरा जनम ये पाया, जिससे लिया उसको ही भुलाया
पाई है वो आत्म शक्ति, उलझे सब पाने को माया
सब कुछ क्यूँ तू खोये, पछताओगे
...............

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