गोविन्द-गोविन्द, कृष्ण-कृष्ण बोल ले


गोविन्द-गोविन्द, कृष्ण-कृष्ण बोल ले
हरि नाम की चाबी लाकर हृद के पट खोल रे
खैर हुआ जो अब तक तुझसे उसका पश्चाताप ना कर
सदगुरु के शरणागत होकर हो जा निश्चिन्त और निडर
अपनी जिंदगानी में तू नाम अमृत घोल ले
गोविन्द-गोविन्द, कृष्ण-कृष्ण बोल ले
इसके बाद तुझे अपना विषयों से राग हटाना है
त्याग तपस्या नियम से गुरु के अनुकूल बन जाना है
फिर तेरे प्रति सारा ज़माना चाहे कुछ भी बोल ले
गोविन्द-गोविन्द, कृष्ण-कृष्ण बोल ले
ध्यान धारणा नित्य स्तुति सारा जीवन करनी है
क्यूंकि तुझको भव सागर से पार तरन को तरनी है
सस्ता है ये मार्ग सबसे चाहे तराजू तोल ले
गोविन्द-गोविन्द, कृष्ण-कृष्ण बोल ले


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