सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से

सबकुछ पा लिया गुरू के द्वार से

सर को झुका लिया गुरू के द्वार पे...


बीच भँवर में मेरी नैय्या न छोड़ना

तन से हो जितनी दूरी , मन से न करना

जिंदगानी हो दाता तेरे ही नाम की

सबकुछ पा लिया...


भक्ति का दान देना , श्रद्धा अपार देना

ये दुनिया भूल भुलैय्या,  मुझको उबार लेना

कि फँस न जाए हम इस मझधार में

सबकुछ पा लिया...


दर तेरा पाया जिसने भाग्य बनाया

उजड़े चमन को तूने फिरसे खिलाया

कि अँखियाँ तरस गई तेरे इंतजार में

तेरे इंतजार में...

ये अँखियाँ तरस गई तेरे इंतजार में...

Aidio


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