दुनिया के इस मेले में

 दुनिया के इस मेले में आना हैं और जाना हैं

मेरा तेरा कुछ भी नहीं हरि नाम साथ में जाना हैं।।


दुनिया एक तमाशा हैं यहाँ पूरी न होती आशा हैं

जोड़-जोड़  सब चले गए मिलती यहाँ निराशा हैं

माल खजाना कुछ भी नहीं गुरू नाम साथ में जाना हैं

गुरू मंत्र साथ में जाना हैं,गुरू ज्ञान साथ में जाना हैं

दुनिया के इस मेले में...


सूरज जो उदय हुआ साँझ को वो ढल जाता हैं

खिला जो फूल बगिया में एक दिन वो मुरझाता हैं

बसंत बहार कुछ भी नहीं आना हैं सो जाना हैं

दुनिया के इस मेले में...


खिला-पिला के देह बढ़ाई वो भी अग्नि जलाना हैं 

कर सत्संग अभी से प्यारे नहीं तो फिर पछताना हैं

पड़ा रहेगा माल खजाना ,छोड़ त्रिया-सुत जाना हैं

दुनिया के इस मेले में आना हैं और जाना हैं

सोना चाँदी कुछ भी नहीं हरि नाम साथ में जाना हैं

मेरा तेरा कुछ भी नहीं गुरू ज्ञान साथ में जाना हैं

गुरू मंत्र साथ में जाना हैं,गुरू ज्ञान साथ में जाना हैं

प्रभु नाम साथ में जाना हैं, तेरा कर्म साथ में जाना हैं

माल खजाना कुछ भी नहीं गुरू नाम साथ में जाना हैं

हरि ॐ, ह्री ॐ.....

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