आनंद सिंधु परमेश्वर को

 आनंद सिंधु परमेश्वर को 

मन भज ले बारं बार

जो अखिल विश्व का जीवन हैं 

प्रभु अनुपम सर्वाधार 


जिसके कारण नाना तन धर

यूँ भटक रहे हो इधर उधर

वह निधि तो हैं तेरे अंदर

तुम खोज फिरे संसार 

आनंद सिंधु परमेश्वर को ....


इस तन का कौन ठिकाना हैं

कुछ दिन में ही तो जाना हैं

क्यों माया में दीवाना हैं

कर ले अपना उद्धार

आनंद सिंधु परमेश्वर को ....


धन हैं तो कुछ नेकी कर ले

बल विद्या से भक्ति भर ले

श्री सद्गृरु का आश्रय भर ले

हो जाए भव पार

आनंद सिंधु परमेश्वर को ....


जो खुद को यहाँ फँसएगा

वो उतना ही दुःख पाएगा

ये कुछ भी काम न आएगा

जाएगा हाथ पसार

आनंद सिंधु परमेश्वर को ....


जब जाग गया तो सोना क्या

यदि समझ गया तो रोना क्या

पाकर के अब फिर खोना क्या

यह पथिक मुक्ति का द्वार

आनंद सिंधु परमेश्वर को ....


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