किस देवता ने आज मेरा दिल चुरा लिया

किस देवता ने आज मेरा दिल चुरा लिय
दुनिया की खबर ना रही, तन को भुला दिया

रहता था पास में सदा लेकिन छिपा हुआ
करके दया दयाल ने पर्दा उठा लिया ।
दुनिया की खबर ना रही, तन को भुला दिया


सूरज न था न चाँद था, बिजली न थी वहाँ
एकदम वो अजब शान का जलवा दिखा दिया
दुनिया की खबर ना रही, तन को भुला दिया



फिर के जो आँख खोल कर ढूँढ़न लगा उसे
गायब था नजर से सोई फिर पास पा लिया ।
दुनिया की खबर ना रही, तन को भुला दिया


करके कसूर माफ मेरे जनम जनम के
"ब्रहमानंद' अपने चरण में मुझको लगा लिया
दुनिया की खबर ना रही, तन को भुला दिया

तेरा मेरा ये रिश्ता पुराना हैं

तेरा मेरा ये रिश्ता पुराना हैं
गुरुद्वार ही एक ठिकाना हैं।।धृ।।

एक साथ तू ही निभाता हैं 
गुरू शिष्य का पावन नाता हैं 
प्यारा हैं तू ही मेरा हैं तू ही
हैं खुदा तू मेरा
तेरा मेरा ये रिश्ता...

बालक हूँ तेरा गुरूवर 
दामन ना छोडूँगा
चाहे कठिनाई आए 
मुख ना मैं मोडूँगा
वीराना था ये जीवन
उजड़ा हुआ था ये मन
अमृत का झरना बनकर 
बनवाए मेरा जीवन 
तुम जो कहोगे वही करेंगे
ऐसा तेरा दीवाना हैं
तेरा मेरा ये रिश्ता...

तुमको ही चाहूँ गुरूजी 
तुमको ही पाऊँ मैं
तेरे ही सुमिरन में
जीवन बिताऊँ मैं
प्यार निराला तेरा 
ज्ञान निराला हैं
पड़ती नजर जिसपे 
वो किस्मत वाला हैं
मेरा अपना कोई नहीं हैं 
एक तेरा ही ठिकाना हैं
तेरा मेरा ये रिश्ता....

आलम ये रौशन तुमसे
तुमसे जहान हैं
तुमसा ना होगा कोई
ये हो तो भगवान हैं
जर्रे जर्रे में भी तेरी ही सत्ता
तेरी मर्जी के बिना हिलता न पत्ता हैं
रहमत बरसे जिनपे इनकी 
घट में अलख जगाता हैं
गुरू शिष्य का पावन नाता हैं
एक साथ तू ही निभाता हैं 

तेरा मेरा ये रिश्ता पुराना हैं
गुरुद्वार ही एक ठिकाना हैं
एक साथ तू ही निभाता हैं 
गुरू शिष्य का पावन नाता हैं 
प्यारा हैं तू ही मेरा हैं तू ही
हैं खुदा तू मेरा
तेरा मेरा ये रिश्ता...

मन में बसा के तेरी मूर्ति

मन में बसा के तेरी मूर्ति
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती

कृपा आपकी भव से हैं तारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...

ब्रह्म नाद विष्णु शंख भोले का डमरू
बोले सदा सृष्टि में सर्वोच्च हैं गुरू
वेद पुराणों में भी हैं यहीं लिखा
ज्ञानियों के ज्ञानियों ने हैं यहीं कहा
गुरुमुख से बोलती हैं माँ भारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...

काम क्रोध मोह माया लोभ सताए
ज्ञान का प्रकाश सबसे मुक्ति दिलाए
सतगुरू कृपा हैं तो काहे का हैं डर
सतगुरू के नाम का अनोखा हैं असर
गुरुकृपा ही पापों को हैं सँहारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...

देव दानव यक्ष मनुज सबकी भावना
जानते हैं आप करते पूर्ण कामना
आपकी नजर से कोई भेद ना छुपे
आप अगर चाहे तो कालरथ रूके
आपकी दया दृष्टि दुःख निवारती
उतारूँ मैं गुरूवर तेरी आरती
मन में बसा के ...
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गुरू वो साँवरी सूरत

गुरू वो साँवरी सूरत 
हमें फिर कब दिखाओगे
गुरू वो साँवरी मूरत 
हमें फिर कब दिखाओगे।।धृ।।

बिरह की आग ने हमारा
जलाया हैं बदन सारा
गुरू के प्रेम पानी से
जलन वो कब बुझाओगे
गुरू वो साँवरी सूरत 
हमें फिर कब दिखाओगे...

सुधि खाने व पीने की
रही हमको न सोने की
प्यास दर्शन की हैं मन में
गुरूजी कब दिखाओगे
गुरू वो साँवरी मूरत 
हमें फिर कब दिखाओगे...

फिरे दिन रैन हम रोती
वो वृंदावन की कुँजन में 
मनोहर बाँसुरी की धुन 
हमें फिर कब सुनाओगे
गुरू वो साँवरी सूरत 
हमें फिर कब दिखाओगे...

न हमको योग से मतलब
न मुक्ति की हमें चाह
वो ब्रह्मानंद सदगुरू से
हमें फिर कब मिलाओगे
गुरू वो साँवरी सूरत 
हमें फिर कब दिखाओगे