सात समंदर पार ना

सात समंदर पार ना
सातवे आसमान में
मात-पिता गुरु सम ना कोई
इस सारे जहान में
वंदन है गुरु के चरणों में
वंदन गुरुवर के चरणों में
शत शत अभिनंदन
शत शत अभिनंदन

प्रथम गुरु है माता जिसने
हमको दूध पिलाया है
संस्कारों का सिंचन करके
उन्नत हमें बनाया है
माँ की महिमा शास्त्र बखाने
माँ ममता की खान है
वंदन है गुरु के चरणों में...

नन्हासा मैं फूल हूँ मैय्या
तो वृक्षों की डाली है
मैं तो हूँ छोटीसी बगिया
तू उसकी हरियाली है
बगिया के फूलों सी मैय्या
तेरी ये मुस्कान है
वंदन है गुरु के चरणों में..

पिता ने हमको पढ़ा लिखाकर
विद्यावान बनाया है
अपना साथी आप बनो ये
सुंदर सूत्र सिखाया है
कर्मयोग की शिक्षा का तो
करते हम गुणगान है
वंदन है गुरु के चरणों में...

मातृ पितृ भक्ति को जिसने
जीवन में अपनाया है
श्रवण कुमार भीष्म विघ्नेश्वर 
को आदर्श बनाया है
ऐसे मातृ पितृ भक्तों की 
महिमा अपरंपार है
वंदन है गुरु के चरणों में

बापू ने भी मातृ पितृ 
भक्ति से सबकुछ पाया है
स्वामी लीलाशाह गुरु का
ज्ञान प्रसाद लुटाया है
गुरुवर मेरे प्यारे जोगी
गुरु मेरे भगवान है
वंदन है गुरु के चरणों में..
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