साईं तेरी शोभा वरनी न जाये

साईं  तेरी शोभा वरनी न जाये .........................
तेरी आँखे है तेजस्वी, तेज अध्यात्म बहाए
चमक दमकता  भाल विशाल , प्रति पल स्मित लहराए
साईं  तेरी शोभा वरनी न जाये .....................


अमृतमयी है  वाणी  तेरी ज्ञान की प्यास छिपाए
जो पिए सो पाए परम पद, पद - पद दीप जलाये
मोह विरक्त हो मुक्त हो जीवन, सब में है साईं समाये
साईं  तेरी शोभा वरनी न जाये ...................


धर्म प्रेमी माँ बाप की शिक्षा, कैसे रंग न लाये
शांति,प्रेम, आनंद के सागर, सदगुरु ये समझाये
आवन-जवान, आदि-उपादी, सबसे तू ही छुडाये
साईं  तेरी शोभा वरनी न जाये ...................

जन्म लिए एक नगर सेठ घर, सिन्धु नदी के तीर
धर्मक्षेत्र में कल - कल  बहते बेहते शुब्र मति के नीर
आसुमल से अलग हुए गुरु आसाराम कहावे
साईं  तेरी शोभा वरनी न जाये ...................

साईं  तेरी शोभा वरनी न जाये .........................
तेरी आँखे है तेजस्वी, तेज अध्यात्म बहाए
चमक दमकता  भाल विशाल, प्रति पल स्मित लहराए
साईं  तेरी शोभा वरनी न जाये .....................

पोथी पढली,पैसा गिन लिया, माना सब कुछ है जाना
कहाँ से आये कहाँ है जाना, ना जाना तो क्या जाना ?
पोथी पढली,पैसा गिन लिया, माना सब कुछ है जाना ........

कौन देश से आया प्राणी, कहाँ  है तेरा बसेरा रे
उजियारे में भटक रहा तू, हो नहीं तेरा सवेरा रे
अपने को पहचान ले बंदे, ओरो को पहचाना क्या
कहाँ से आये कहाँ है जाना, ना जाना तो क्या जाना ?
पोथी पढली ,पैसा गिन लिया माना सब कुछ है जाना ........

बस तू इतना जान ले बन्दे, सपना है संसार
भूल भुलैया से बचना, तू अपना आप उभार
संत मिले जो सदगुरु जैसे, जीवन से घबराना क्या ?
कहाँ से आये कहाँ है जाना, ना जाना तो क्या जाना ?
पोथी पढली ,पैसा गिन लिया माना सब कुछ है जाना ........

मस्त फ़क़ीर है मौला मेरा, मालिक मेरा साईं रे
योग लीला है जीवन उसका, मैं उसकी परछाई रे
राम का दाना राम की चिड़िया चुग गई तो पछताना क्या ?

कहाँ से आये कहाँ है जाना, ना जाना तो क्या जाना ?
पोथी पढली ,पैसा गिन लिया माना सब कुछ है जाना ........
ना जाना तो क्या जाना ?

ऐसी भूल दुनिया के अंदर

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ऐसी भूल दुनिया के अंदर साबुत करनी करता तू ,
ऐसो खेल रचो मेरे दाता जहाँ देखू वह तू को तू .
भाई जहाँ देखू वहाँ तू को तू .

किडी में तू नानो बन बैठो हाथी में तू मोटो क्यूँ
बन महावत ने माथे बैठो हाकन वालो तू को तू .
ऐसो खेल रचो मेरे दाता जहाँ देखू वह तू को तू .
भाई जहाँ देखू वहाँ तू को तू .


दाता में दाता बन बैठो भिखारी के वेलो तू
ले झोली ने मांगन लागो देवा वालो दाता तू
ऐसो खेल रचो मेरे दाता जहाँ देखू वह तू को तू .
भाई जहाँ देखू वहाँ तू को तू .


चोरों में तू चोर बन बैठो बदमाशो मे वेलो तू
कर चोरी ने भागन लागो पकड्ने वालो तू को तू
ऐसो खेल रचो मेरे दाता जहाँ देखू वह तू को तू .
भाई जहाँ देखू वहाँ तू को तू .

नर नारी में एक विराजे दुनि याँमें दो दिखे क्यूँ
बन बालक ने रोआ लागो राखन वालो तू को तू .
ऐसो खेल रचो मेरे दाता जहाँ देखू वह तू को तू .
भाई जहाँ देखू वहाँ तू को तू .

जल थल मे तू ही विराजे भूत जंत वेलो तू
कहत कबीर सुनो भाई साधू गुरु भी बनके बैठो तू
ऐसो खेल रचो मेरे दाता जह देखू वह तू को तू .
भाई जहाँ देखू वहाँ तू को तू .

ऐसी भूल दुनिया के अंदर साबुत करनी करता तू ,
ऐसो खेल रच्यो मेरे दाता  जहाँ देखू वह तू को तू .
भाई जहाँ देखू वहाँ तू को तू .