गुरु की कृपा गुरु की करुणा

गुरु की कृपा गुरु की करुणा
सारे जग से निराली है
जहाँ गुरुवर चरण धरे
वो धरती नसीबों वाली है

श्रद्धा भाव से गुरु प्रेम में
भक्त जो मारे गोता है
बिन माँगे सब कुछ वो पाता
उसका मंगल होता है
गुरु ज्ञान के सुरज से फिर
रात न रहती काली है
हम तो जाते भूल उन्हें पर
वो तो पास ही रहते हैं
उनका हृदय है कोमल निर्मल सदा
सदा वो हितकी कहते हैं
हम सबका जीवन इक बगिया
वो बगिया के माली हैं
जीवन की ये राहें मुश्किल

हर पल ये भरमाती है

कभी कहाँ से कभी कहाँ से

विपदाए तो आती है

जब भी डगमग डोले नैया

गुरुवर ने ही संभाली

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