जो बापू ने पकड़ा हाथ मेरा

मैं गिरते गिरते संभाल गया,..........२
मैं गिरते गिरते संभाल गया,..........२
मेरा सारा जीवन सँवर गया..........२
जो बापू ने पकड़ा हाथ मेरा-४ , मेरा सारा जीवन सँवर गया..........२
मैं गिरते गिरते संभल गया.........२

वरना क्या थी औकात मेरी ..........
व्यथा थी हर दिन रात मेरी ..........
मुझे सुख मिला मुझे चैन मिला..........
मेरा मोह भ्रम सब उतर गया..........

कितने विषयों ने घेरा था ..........
कोई अता पता न मेरा था..........
मुझे मिली मेरी पहचान यहाँ ..........
जो वक्त बुरा था गुजर गया ..........

जीवन बेरंग लगता था बड़ा..........
हर पल आगे तूफान खड़ा..........
न थामी किसीने डोर मेरी..........
कभी किधर गया कभी किधर गया..........
जो बापूने पकड़ा हाथ मेरा , मेरा सारा जीवन सँवर गया..........

अब संगी तुम्ही हो साथी तुम्ही..........
अब बाती तुम्ही हो दीप तुम्ही..........
तुम बिन दूजी न आस कोई..........
जो बिगड़ा था वो सुधर गया..........
जो बापूने पकड़ा हाथ मेरा
मेरा सारा जीवन सँवर गया..........

जोगी तुम्ही पतवार मेरी ..........
हे बापू तुम्ही पतवार मेरी..........
थामी नैया हर बार मेरी ..........
सब कुछ है मिला तुमसे तो हमें..........
जो डूबा था वो उबर गया..........
जो बापूने पकड़ा हाथ मेरा , मेरा सारा जीवन सँवर गया..........

तेरा प्यार मिला संसार मिला..........
तुम्हे देखा तो दिल मेरा खिला..........
तुम्हे देखतो दिल मेरा खिला.........
तुम्हे पाया अब में जिधर गया ....२
मैं गिरते गिरते संभाल गया,..........
जो बापूने पकड़ा हाथ मेरा , मेरा सारा जीवन सँवर गया..........

जो वक्त बुरा था गुजर गया ..........
तुम्हे पाया अब में जिधर गया .........
मेरा मोह भ्रम सब उतर गया..........

आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु ( भोग भजन)

आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु, आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु

ऐसो भोग लगाओ मेरे सदगुरु.. ऐसो भोग लगाओ मेरे सदगुरु..
सब अमृत हो जाए मेरे सदगुरु …
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु ….

प्रेम के वश अर्जुन रथ हांक्यो … प्रेम के वश अर्जुन रथ हांक्यो …
भूल गए ठकुराई मेरे सदगुरु
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु …

राजसु यज्ञ युधिष्ठिर कीन्हो... राजसु यज्ञ युधिष्ठिर कीन्हो...
उसमे झूठन उठाई मेरे सदगुरु…
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु…

दुर्योधन की मेवा त्यागी… दुर्योधन की मेवा त्यागी…
साग विदुर घर खायो मेरे सदगुरु...
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण... पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण...
चारो दिशाओं से आओ मेरे सदगुरु…
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु

शबरी के बेर, सुदामा के कांदुल… शबरी के बेर, सुदामा के कांदुल…
रूचि रूचि भोग लगाये मेरे सदगुरु…
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु...

जो कोई इस भोग को खाए… जो कोई इस भोग को खाए…
वो ही तेरा हो जाए मेरे सदगुरु..
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु...

सारी संगत हाथ जोड़ के खड़ी है... सारी संगत हाथ जोड़ के खड़ी है…
खुल खुल दरश दिखाओ मेरे सदगुरु…
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु...

ऐसो भोग लगाओ मेरे सदगुरु... ऐसो भोग लगाओ मेरे सदगुरु…
सब अमृत हो जाए मेरे सदगुरु…
आओ भोग लगाओ मेरे सदगुरु...