आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम


आये हो जगत में हमारे लिए गुरु तुम

सच झूठ की हमको परख नहीं थी
राह सही थी ना सोच सही थी
तुमने उबारा हमको संभाला, सच्चे हितैषी हो तुम  
आये हो जगत में .............

कितनों को तेरी ही भक्ति ने तारा
कितनों का तुमने है जीवन संवारा
साँसों में बसते हो धड़कन चलाते हो, ईश की छवि हो तुम
आये हो जगत में .............

मीरा और शबरी ने गुरु आज्ञा मानी
ज्ञानेश्वरजी ने भी गुरु महिमा जानी
ज्ञान बढ़ाते मार्ग दिखाते, रब की ही मूरत हो तुम
आये हो जगत में ............

एकलव्य की भी निराली थी रीति
अद्धुत थी आरुणि की वो गुरु प्रीति 
सच्ची वो श्रद्धा अटल भरोसा, हमको भी दे दो तुम
आये हो जगत में ............

किरपा के बदले में तुमको क्या दे हम
चरणों में खुद को ही अर्पण करें हम
ये उपकार करना दिल में ही रहना, दूर ना होना तुम
आये हो जगत में
............

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