लाग्यौ लग्यौ गुरुजी तारो रंग रे


लाग्यौ, लग्यौ गुरुजी तारो रंग रे
तारु शरणु मलै, सत्संग रे (आनंद रे)

जगना छे झूठा संगी, झूठा विचारे रे
स्वार्थ भरैला सोउए, साचाना भंगार रे
एवा जगनु भजै सूं काम रे

आवे छे जे कोई द्वारे, दुख थी पीड़ाता
एना दुख, कष्ट, सघड़ा, गुरुवर मीटावता
गुरु देता सुख शाँति अपार रे

डुबी रह्यौ छे भवमां जीव बिचारौ
कोई नथी जगमां जै आपै जने सहारो
सतगुरु करता सउनै भव थी पार रे

दैखाय छे जग मां माया न नजारा
दुखदायी घणा छे लागे ने अति प्यारा
गुरुवर करता सौने खबरदार रै  

गुरुवर न वचनौ मां विश्वास करीलै
प्रभु नाम श्वास श्वास मां तू सुमिरन करी लै
गुरु कापै चौरासी नी मझधार रे

चरणों माँ आवी बैसे, जामी सुख धाम रे
मननी वातौ नै छोड़ी, बनै समझदार रे
साचै पहौची रहे सुख धाम रे - -

प्रीते छे साची तमारी, ईश नो अवतार रे
सेवा सुमिरण थी थातौ, आतम उजाश रे
गुरु सेवा बिना न उद्धार रे - -

गुरु छे ज्ञानी, ध्यानी, दानी, महान रे
अमुलख धन देता, प्रैमे अपार रे 

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