आकर गुरु के द्वार, मैं गुरु का हो गया


आकर गुरु के द्वार मैं गुरु का हो गया
दर्शन कर गुरु देव के, दीवाना हो गया

सबसे ये हितकारी हैं, आशुतोष त्रिपुरारी हैं
सबके मंगलकारी हैं, पाप पुंज भयहारी हैं
पाकर इनको जीवन ये, सुहाना हो गया
दर्शन कर गुरु देव के........................

ध्यान जो इनका धरते हैं, भव से वो ही तरते हैं
सबका हित ये करते हैं, मूढ़ता पल में हरते हैं
कृपा से इनकी दुःख सारा, रवाना हो गया
दर्शन कर गुरु देव के........................

गुरुवर सबसे प्यारे हैं, सारे जग से न्यारे हैं
सबकी आँखों के तारे हैं, हम सबके रखवारे हैं
इनको पाकर कष्टों से, अनजाना हो गया
दर्शन कर गुरु देव के........................

इनको जब से पाया है, मिली प्रेम की छाया है
मिट गयी लौकिक माया है, मन को सुकून आया है
मेरे सपनों में इनका, अब आना हो गया
दर्शन कर गुरु देव के........................

दुर्गुण दोष भगाते हैं, आतम बोध बढ़ाते हैं
शाश्वत रंग लगाते हैं, मोह निशा से जगाते हैं
झूठे जग के रिश्तों से, बेगाना हो गया
दर्शन कर गुरु देव के........................


शांति पुंज भंडार हैं, देते प्रेम अपार हैं -2-
करते भव से पार हैं, जीवन का ये सार हैं -2-
जीवन - - -
इनका नजारा देख के नजराना हो गया -2-
पाकर इनको जीवन ये सुहाना हो गया -2-
आकर गुरु के द्वार मैं गुरु का हो गया -2-
दर्शन कर - - -
गुरुवर सबसे प्यारे हैं, सारे जग से न्यारे हैं -2-
सबकी आँखों के तारे हैं, हम सब के रखवारे हैं -2-
             हम सब - - -
झूठे जग के रिश्तों से बेगाना हो गया
दर्शन कर - - -
ज्ञान का गहरा सागर हैं, भरते सबकी गागर हैं
गुरु ही नटवर नागर हैं, करते भेद उजागर हैं
             करते - - -
इनका नजारा देख के नजराना हो गया
दर्शन कर - -



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