मैं तो राधे राधे गाऊँ


मैं तो राधे राधे गाऊँ श्याम तेरी गलियन में
मैं तोगुरुभक्ति को बढ़ाऊँ श्याम - - -
मैं तोगुरु का ही रूप बसाऊँ, श्याम मेरी अँखियन में

गोविन्द और गुरुवर के दर्शन
ऐसे दर्शनमिटे आकर्षण
दर्शन करबलि बलि जाऊँ

गोपगोवर्धन गुरु का संगम
ऐसा संगमबड़ा है दुर्गम
फिर फिरसे ये अवसर पाऊँ

वृंदावन की भूमि पावन
भूमि पावनहै मन भावन
इसी भूमिपे गुरु को रिझाऊँ

तेरीगलियन में हम है आये
हम है आये, भाव है लाये
श्रद्धाके मैं पुष्प चढ़ाऊँ

गुरु(व) हरि में भेद नही है
भेद नहीहै दोनों यही है
मैं भीद्वैत का भेद मिटाऊँ

भक्तोंके वश प्रभु हैं रहते
प्रभु हैरहते सब कुछ सहते
मैं भीप्रभु को अपना बनाऊँ

कितनेपापी तुमने तारे
तुमनेतारे, यहीं थे मारे
मैं भीदुर्गुण दोष भगाऊँ

गोप-गोपियाँ मुग्ध हुये थे
मुग्धहुये थे धन्य हुए थे
मैं भीऐसी लगन लगाऊँ

कितनोंकी थी मटकी फोड़ी
मटकी फोड़ी, सोच भी मोड़ी
यहीमोह-भ्रम मैं मिटाऊँ

राधे-कृष्ण की युगल ये जोड़ी
युगल येजोड़ी, अटूट डोरी
मैं भीप्रेम की ज्योत जगाऊँ

बाँकेबिहारी कृष्ण मुरारी
कृष्णमुरारी, छवि है प्यारी
इनकी लीलासबको सुनाऊँ

तुमनेयही थी बंशी बजाई
बंशी बजाई, करुणा दिखाई
उसी तानको मैं सुन पाऊँ

यहाँकी रज से पाप कटे हैं
पाप कटे, यहाँ पुण्य बढ़े हैं
यहीं झूठाअहम भुलाऊँ

यमुनाजी भी यहीं है बहती
यहीं हैबहती, सबसे कहती
तुम्हेकभी ना मैं बिसराऊँ
(तेरेगुणगान मैं गाऊँ) - - -
तेरेयादों में हर दिन बिताऊँ - - -

कृष्णभी गुरु के द्वार गये थे
द्वार गयेथे, सेवा किये थे
मैं भीगुरु सेवा कर पाऊँ


No comments:

Post a Comment